रायपुर
मोदी सरकार द्वारा नगरनार संयंत्र को बेचने के विरोध में कांग्रेस ने बस्तर के लोगों के साथ मिलकर बस्तर बंद का आह्वान किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बस्तर की जनता के आक्रोश की अभिव्यक्ति है बस्तर बंद। बस्तर के निवासी, आदिवासी, व्यापारी, मजदूर, किसान, नौकरीपेशा सभी बंद के समर्थन में है। बस्तर के आदिवासियों ने अपनी जमीन एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट को दी थी। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के जरिए इस जमीन का मकसद बस्तर का विकास था। आदिवासियों ने अपनी जमीन मुआवजे के लिये नहीं दी थी बल्कि इसलिए दी थी कि आने वाले समय में उनको रोजगार मिल सके और साथ ही क्षेत्र का विकास हो।
शुक्ला ने कहा कि नगरनार स्टील प्लांट को विनिवेश सूची में डाले जाने पर मजदूर संगठनों, किसानों में भारी नाराजगी दिखाई थी। इसके विरोध में वर्तमान मुख्यमंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व में विशाल पदयात्रा निकाली गई। जिसमें 10 ग्राम पंचायत के प्रभावित किसान, 12 गांवों के हितग्राही और संयुक्त मजदूर किसान संगठन, स्टील श्रमिक यूनियन भी शामिल थे। कांग्रेस की ओर से सरकार बनने से पहले विधानसभा अशासकीय संकल्प लाया गया था और सरकार बनने के बाद बकायदा शासकीय संकल्प लाकर इसके बेचने का विरोध किया गया था। उस संकल्प में कांग्रेस सरकार की ओर से कहा गया था कि अगर मोदी सरकार इसे बेचना ही चाहती है तो इसे राज्य सरकार को सही कीमत लेकर बेच दे और राज्य सरकार इसे चलाएगी। लेकिन केंद्र सरकार ने नियमों में परिवर्तन करके राज्य सरकार को बोली लगाने से रोक दिया है। साफ है कि मोदी सरकार इसे अपने मित्र उद्योगपतियों को बेचना चाहती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता नगरनार मामले में चुप्पी साधे बैठे है। कांग्रेस, भाजपा के बस्तर के और पूरे छत्तीसगढ़ के नेताओं से पूछना चाहती है कि वे नगरनार को बेचने के विरोध में हैं या नहीं? अगर भाजपा के नेताओं ने नगरनार को बेचने का खुला विरोध नहीं किया तो बस्तर के आदिवासी और गैर आदिवासी दोनों इसका जवाब ठीक तरह से देंगे। कांग्रेस पार्टी नगरनार को बचाने के लिए कृतसंकल्प है इसीलिए 3 अक्टूबर को बस्तर बंद का आह्वान किया गया है। बस्तर के आदिवासियों को भाजपा सरकार सिर्फ शोषण का पात्र समझती है यही उसकी भूल है। बस्तर नगरनार को नहीं बिकने देगा। नगरनार को बचाएंगे, बस्तर को बचाएंगे।