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कछुओं की नेस्टिंग साइट के नजदीक मछली पकड़ने पर लगाएं बैन : हाई कोर्ट

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कछुओं के संरक्षण के लिए उच्च न्यायला ने ओडिशा सरकार को दिए आदेश
भुबनेश्वर।
मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर की वजह से ओडिशा तट पर ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की बड़ी संख्या में मृत्यु हो रही है। कछुओं की उच्च मृत्यु दर को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को ओडिशा हाई कोर्ट की एक पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह समुद्री पुलिस और कोस्ट गार्ड की मदद से देवी समुंद्र के पास ट्रॉलरों द्वारा मछली पकड़ने की गतिविधियों पर रोक लगाएं।
मुख्य न्यायाधीश एस. मुरलीधर की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को तलचुआ, तंतीआपाल और जंबो के तीन समुद्री पुलिस स्टेशनों को सी-पैट्रोलिंग बोट और गहिरमाथा मरीन सैंक्चुअरी की सुरक्षा के लिए एडिशनल फॉर्स प्रदान करने का आदेश दिया है, जिसमें ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की सबसे ज्यादा संख्या है।
हाई कोर्ट ने कहा, ‘ओडिशा तट पर बड़ी संख्या में कछुओं की मृत्यु का मुख्य कारण फिशिंग ट्रॉलिंग ऑपरेशन है। मछली पकड़ने के लिए जाल का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार मछली के जाल में मछलियों के अलावा कई कछुए भी फंस जाते हैं, जिसकी वजह से वो (कछुए) चोटिल हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। देवी नदी और गहिरमाथा के प्रतिबंधित क्षेत्र में ट्रॉलर्स की मूवमेंट और मछली पकड़ने से रोकने के लिए प्रवर्तन गतिविधियों को जारी रखा जाना चाहिए।`
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी से गहिरमाथा मरीन सैंक्चुअरी में 800 ओलिव रिडलिस कछुओं की मौत हुई। ओलिव रिडलिस कछुए हर साल ओडिशा तट पर घोंसले की तलाश में आते हैं। कुछ प्रेग्नेंट कछुए अंडे देने के लिए गहिरमाथा का रुख करते हैं तो कुछ देवी नदी और रुशिकुल्या नदी का चयन करते हैं।
ओडिशा तट के किनारे ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की मौतों के मामले को देखने के लिए गठित तीन-सदस्यीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि नो-फिशिंग जोन को साफ तौर से सीमांकित किया जाना चाहिए।
ओडिशा के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की रिपोर्टों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि पिछले 10 सालों में ओडिशा तट पर 46,000 से ज्यादा ओलिव रिडले कछुए मारे गए हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत मौतें देवी नदी के पास हुईं हैं। अनुमान है कि हर साल लगभग 4,000 से 7,000 ओलिव रिडले समुद्री कछुएं मारे जाते हैं।