नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गंगा, पर्यावरण तथा संस्कृति का संरक्षण हमारे देश के विकास के लिए आधार स्तंभ है। श्री कोविंद उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा, पर्यावरण और संस्कृति विषय पर जागरण फोरम के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे जीवन में गंगा की पवित्रता सर्वोपरि है। यह शिक्षा देती है कि हमारा मस्तिष्क, वचन और कर्म गंगा नीर की तरह पवित्र होने चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रभावी रूप में गंगा की स्वच्छता यह बताती है कि हम पवित्र हृदय के साथ जी रहे हैं। यह शाश्वत रूप से जीवन में निरंतरता का संदेश देती है। राष्ट्रपति ने कहा कि गंगा को केवल एक नदी के रूप में देखना उचित नहीं होगा। गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा है तथा आध्यात्मिकता और श्रद्धा की वाहक है। हमारे देश में यह माना जाता है कि देश की सभी नदियों में गंगा का तत्व है। अनेक श्रद्धालु भारत से गंगाजल लेते हैं और विदेशी नदियों में इसे प्रवाहित करते हैं। इस तरह वे उन नदियों को अपनी श्रद्धा से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा विश्व के प्रत्येक कोने में रहने वाले भारतीय को अपनी मातृभूमि तथा अपने देश की संस्कृति और परंपरा से जोड़ती है। इसलिए गंगा भारत की जनता की पहचान है। राष्ट्रपति ने कहा कि अपने देश में पर्यावरण और संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन तभी होगा जब गंगा निर्बाध और स्वच्छ हो। गंगा और उसकी सहायक नदियों का क्षेत्र ग्यारह राज्यों में फैला हुआ है। एक अनुमान के अनुसार इस क्षेत्र में देश की 43 प्रतिशत आबादी रहती है। इसलिए गंगा नदी बेसिन में जल संरक्षण और इस क्षेत्र में बाढ़ व कटाव में कमी लाना काफी महत्वपूर्ण है। इन उद्देश्यों के साथ गंगा की स्वच्छता का लक्ष्य और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ है।