मुंगेली/ मुंगेली नगर को दानदाताओं की नगरी कहा जाता है। मुंगेली की पहचान शुरू से ही दानदाताओं के रूप में रही है, यहां के अधिकांश स्कूल व कालेज एवं कई भवनों को यहाँ के दानदाताओं ने अपनी पूँजी लगाकर शहर एवं जनता के विकास व उनके उत्थान के लिये सदैव ही दान के रूप में कुछ न कुछ दिया है इस बात को स्थानीय लोगों के साथ-साथ मुंगेली से जुड़े लोग भी काफी अच्छे से जानते है। दानदाताओं की नगरी मुंगेली में बहुत सी यादें ऐसी है जो कि स्वयं में जनहित व विकास कार्यो में हर समय अपनी भागीदारिता निभाने दानदाताओं ने सदैव खुद को आगे किया है जिसका परिणाम है कि शहर में कई स्कूल, कालेज तथा कई भवन व धरोहर दानदाताओं की देन है परंतु इन दानदाताओं का अपमान करने में नगर पालिका, शासन-प्रशासन और यहाँ के जनप्रतिनिधियों ने कोई कसर नही छोड़ी हैं। दानदाताओं के द्वारा दान में किये गये भवनों अथवा भूमि का प्रशासन संरक्षण नहीं कर पा रही हैं साथ ही इसके द्वारा दानदाताओं की जमीन का व्यापार में जरूर उपयोग किया जाने लगा है।
दानदाताओं के सबसे प्रथम क्रम में मुंगेली के ऐतिहासिक रहे रामानुज प्राथमिक शाला को ही ले लिया जाये जो कि पड़ाव चौक और नया बस स्टैंड के बीचों-बीच में स्थित था। कई दशकों पहले गरीब बच्चों के उचित पढ़ाई व शिक्षा के लिये मुंगेली के दानवीर रामानुज देवांगन के द्वारा एक प्राथमिक शाला भवन का निर्माण कराया गया, और इस स्कूल का नाम रामानुज प्राथमिक शाला रखा गया। यह स्कूल लगभग चार दशक सफलतापूर्वक संचालित होता रहा और यहाँ की काफी अच्छी शिक्षा व्यवस्था के कारण आज यहाँ से पढे़ छात्र डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, प्रोफेसर व कई प्रशासनिक पदों के साथ-साथ राजनीतिक पदों पर भी आसीन है और मुंगेली का नाम भी रोशन कर रहे हैं।
मुंगेली नगर पालिका के तत्कालीन सीएमओं द्वारा दिनांक 09/10/2000 को अपने ज्ञापन क्रमांक/1303/न0पा0/लो0नि0वि0/2000-2001 मुंगेली के माध्यम से दानदाता रामानुज प्रसाद देवांगन को ज्ञापन भेज कहा गया कि रामानुज प्राथमिक शाला भवन जों जीर्ण-क्षीर्ण हो चुका हैं को तोड़कर उक्त स्थल पर भूमि तल पर शॉपिंग काम्पलेक्स व प्रथम तल पर प्राथमिक शाला भवन का निर्माण किया जाना है, प्राथमिक शाला का नाम पूर्ववत रामानुज देवांगन प्राथमिक शाला ही रहेगा एवं प्रस्तावित शापिंग काम्पलेक्स का भी नामकरण रामानुज देवांगन बाजार रहेगा। अतः कृपया अपनी स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करेंगें। उक्त ज्ञापन में नगर पालिका परिषद् के प्रस्ताव दिनांक और क्रमांक का स्थान खाली था। मुख्य नगर पालिका अधिकारी के इस ज्ञापन/पत्र के बाद दानदाता रामानुज प्रसाद देवांगन द्वारा सीएमओ को पत्र भेज कहा गया कि मेरे द्वारा दान दिये गये भूमि पर स्कूल भवन को तोड़कर प्रस्तावित बाजार निर्माण व स्कूल भवन निर्माण में मेरी पूर्ण स्वीकृति हैं, मैं पुनः निर्माण हेतु एवं नामकरण हेतु परिषद् का आभारी हॅू। नगर पालिका और दानदाता के इस पत्र व्यवहार बाद नगर पालिका ने पुराने रामानुज प्राथमिक शाला को तोड़कर लाखों खर्च कर 18 दुकानों की एक विशाल व्यवसायिक काम्पलेक्स तो बना दी गई, परंतु पत्राचार के अनुसार प्रथम तल पर रामानुज देवांगन प्राथमिक शाला का निर्माण नहीं कराया गया जो कि अपने आप में बेहद शर्मनाक हैं।
कुछ दशक चलने के बाद इस स्कूल को नगर पालिका ने तोड़वाकर एक काम्पलेक्स का निर्माण कराया गया जिसमें करीब 18 दुकानें थी, रामानुज प्राथमिक शाला को ढहाने और उसके स्थान पर 18 दुकानों के नये काम्पलेक्स निमाण पर नगर पालिका ने लाखों रूपये खर्च किये। दिनांक 04/09/2004 को मुंगेली नगर पालिका के तत्कालीन सीएमओ द्वारा स्कूल की जमीन पर बने काम्पलेक्स की 18 दुकानों की नीलामी हेतु सूचना निकाला गया जिसमें रामानुज देवांगन प्राथमिक शाला शापिंग काम्पलेक्स दुकानों का विवरण उल्लेख किया गया गया था। उसके बाद इस काम्पलेक्स की 18 दुकानों की नीलामी प्रकिया आगे भी चलती रही। उस समय नगर पालिका द्वारा ऐतिहासिक रामानुज प्राथमिक शाला को तुड़वाकर एक काम्पलेक्स का निर्माण तो कर दिया गया परंतु उस काम्पलेक्स के ऊपर प्रथम तल में पत्र व्यवहार के माध्यम से हुये शर्तानुसार स्कूल का निर्माण नही कराया जा सका। कारण चाहे कुछ भी हो पर दानदाता द्वारा शिक्षा के लिये दी गई जमीन पर काम्पलेक्स बनाना शोभा नही देता, और अगर दानदाता ने सहमति यह सोच कर दी कि प्रथम तल पर रामानुज स्कूल का निर्माण किया जायेगा तो नगर पालिका को इतनी ईमानदारी जरूर दिखानी चाहिये थी कि कॉम्पेलेक्स निर्माण के समय ही प्रथम तल पर स्कूल बना दिया जाना चाहिये था जबकि वहाँ अभी वर्तमान समय तक स्कूल निर्माण नहीं किया जा सका है। मुंगेली जिला बनने के बाद और यहां कलेक्टर के पदस्थापना के बाद से ही कई कलेक्टरों को रामानुज प्राथमिक शाला व दान की भूमि के संबंध में अवगत भी कराया गया है परंतु किसी कलेक्टर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। पिछले वर्ष ही 2022 में दैनिक भारत-भास्कर ने इस दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा स्कूल के लिये दी गई दान की जमीन व उसके वर्तमान में हो रहे व्यावसायिक उपयोग मामले सहित वर्तमान में संचालित रामानुज प्राथमिक शाला की जर्जर स्थिति को प्रमुखता से प्रकाशित किया था, तब कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में लेकर एक बड़े अधिकारी को भी स्कूल निरिक्षण में भेजा गया था, परंतु उनके द्वारा भी उस समय भवन मरम्मत का आश्वासन दिया गया, परंतु मरम्मत नहीं कराया जा सका जो बेहद निंदनीय हैं। जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष खबर प्रकाशित होने के बाद ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मुंगेली द्वारा प्रांक्कलन रिपोर्ट बनाया गया था जिसमें योजना का नाम में डीएमएफ उल्लेखित था। परंतु यह केवल कागजों में ही सिमट कर रह गया।
आपको बता दे कि मुंगेेेली के दानवीर रामानुज देवांगन ने शिक्षा के उद्देश्य के लिये जिस विशाल भूमि और स्कूल भवन का दान किया था उसमें आज राज्य शासन द्वारा सी-मार्ट संचालित किया जा रहा हैं। कई दशकों पहले यहां रामानुज प्राथमिक शाला संचालित था, बाद में नगर पालिका ने दानदाता की सहमति लेकर जर्जर हो चुके रामानुज प्राथमिक शाला को तोड़कर काम्पलेक्स बनाने व उसके प्रथम तक पर रामानुज प्राथमिक शाला बनाकर रामानुज देवांगन के नाम से ही नामकरण करने की बात बकायदा पत्र व्यवहार के माध्यम से स्वीकारी थी, पर नगर पालिका ने काम्पलेक्स तो बना दिया पर प्रथम तल पर स्कूल नहीं बना सकी लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार आई तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सी-मार्ट योजना की शुरुआत की, तब मुंगेली नगर पालिका व शासन प्रशासन की आंखों में दानदाता द्वारा शिक्षा के लिये दी गई जमीन दिखी और आनन-फानन में इस रामानुज स्कूल के जमीन पर बने काम्पलेक्स का स्वरूप बदलकर इसे सी-मार्ट बना दिया गया। आज दिनांक 22/09/2023 को इस स्कूल की मंहगी जमीन पर सी-मार्ट संचालित है और पूर्व में यहां स्थित रामानुज स्कूल अपनी दुर्गति और बदकिस्मी पर आंसू बहा रहा हैं।
यह कहने में काफी शर्म महसूस होती है कि शहर के दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा शिक्षा के लिये दान में दी गई भूमि व निर्मित स्कूल रामानुज प्राथमिक शाला भवन को जब नगर पालिका द्वारा तोड़वाया गया तब इस स्कूल का संचालन खर्रीपारा बीआरसी कार्यालय के पास किया गया कुछ वर्ष वहाँ अस्थायी भवन में रामानुज स्कूल का संचालन किया गया उसके बाद अभी वर्तमान में उस स्कूल का संचालन परमहंस वार्ड में संयुक्त रूप से संचालित शंकर वार्ड प्राथमिक शाला और बाल मंदिर में ही इस रामानुज स्कूल का भी संचालन शुरू कर दिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार परमहंस वार्ड में संचालित शंकर वार्ड प्राथमिक शाला को रामानुज प्राथमिक शाला में ही संलग्न कर दिया गया हैं। अतः यहाँ सुबह 7ः30 बजे से करीब 11ः30 बजे तक बालमंदिर लगता है, और 10 बजे से 4 बजे तक रामानुज प्राथमिक शाला पहली से पांचवी कक्षा का लगता है। रामानुज स्कूल और रामानुज स्कूल में विलय किया गया शंकर वार्ड प्राथमिक शाला में पहली से पांचवीं तक की कक्षायें लगती है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में बच्चे है, और यह स्कूल भवन काफी जर्जर हो चुका है जिसके चलते कभी कभी एक ही कक्षा दो कक्षायें संचालित की जाती हैं, साथ ही बरामदे में भी बच्चों को बैठाकर क्लास लगाई जा रही है। स्कूल भवन के छत में बने कमरों को यदि देखा जाये तो रोंगटें खड़े हो जायेगें कि एैसे स्कूल भवन के नीचे मासूम बच्चों को बैठाया जा रहा है। पूरे कमरों की छतें व फ्लोंरिंग उखड़ चुकी है, भवन की दीवारें नीचे की ओर से खोखली होती जा रही है, दीवारों में बहुत दरारें है एैसा लगता है मानों कभी भी ये छतें व दीवारें गिर न जायें, ऐसी स्थिति में यहां पढ़ रहे सैकड़ों स्कूली बच्चों की जान खतरे में है, कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है ? अब एैसे में ये कैसे कहा जा सकता है कि बच्चों को गुणवक्तायुक्त शिक्षा मिल रही है ? जब भवन ही अच्छी न हो और खतरों के साये में कक्षाएं संचालित हो रही हो तो ऐसे में बच्चों को किस प्रकार अच्छी शिक्षा दी जा सकती है ? इन सब विषयों में यह बात समझ में नही आता है कि जिला प्रशासन व नगर पालिका के अधिकारी व जनप्रतिनिधिगण कहाँ है क्या उन्हें यह बताने की आवश्यकता है कि दानदाता रामानुज देवांगन व रामानुज स्कूल की मुंगेली के विकास व शिक्षा में क्या योगदान रहा। ये सब बातें सोचने का उनके पास वक्त नही हैं उन्हें तो किस प्रकार भ्रष्टाचार कर काली कमाई की जाये व जनता का पैसा कैसे हजम किया जाये केवल इसी बात की चिन्ता रहती है, वरना रामानुज स्कूल को भवन के लिये भटकना नही पड़ता और न ही इस प्रकार के जर्जर भवन में खतरों के साथ बच्चों को शिक्षा देने मजबूर नही होना पड़ता।
नगर पालिका में नहीं हैं डीड की कॉपी
प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पालिका मुंगेली से दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा रामानुज स्कूल हेतु दान दिये जमीन के डीड की प्रति सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई थी, जिसकी जानकारी नहीं मिलने पर प्रथम अपील की गई थी, प्रथम अपील में भी जानकारी नहीं मिलने पर राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की गई जहां सुनवाई के दौरान संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाते हुये आदेश दिया गया कि जो जानकारी उपलब्ध है वह अपीलार्थी को तत्काल दी जाये और जो जानकारी मांगी गई है यदि नगर पालिका में नहीं है तो एक शपथ-पत्र स्टांप में लिखकर अपीलार्थी को दिया जाये कि संबंधित जानकारी कार्यालय में नहीं हैं। उसके बाद नगर पालिका के अधिकारियों द्वारा रामानुज प्राथमिक शाला व उसके बदले निर्मित काम्पलेक्स/दुकानों के संबंध में कई जानकारियां दी गई परंतु डीड के संबंध में जनसूचना अधिकारी द्वारा स्टांप में शपथ पत्र पर लिखकर दिया गया कि वह जानकारी कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं।
दानदाता परिवार करीब 20 वर्षो से अपनी ही जमीन पर बने काम्पलेक्स पर जीवन यापन के लिये मांग रहे एक दुकान…
प्राप्त जानकारी के अनुसार दानदाता रामानुज देवांगन द्वारा एक विशाल जमीन व भवन शिक्षा के लिये दान तो दे दिया गया, साथ ही कई दशकों तक रामानुज प्राथमिक शाला के नाम से यहां स्कूल संचालित हो रहा था, नगर पालिका और दानदाता के बीच हुये पत्र व्यवहार के बाद स्कूल को तोड़कर वहां विशालकाय काम्पलेक्स बनाया गया था जिसमें दानदाता परिवार के एक सदस्य अरूण देवांगन द्वारा एक दुकान मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना के तहत व्यवसाय करने मांग की गई थी, जिसके बाद नगर पालिका परिषद् की बैंठकों में दानदाता परिवार के सदस्य को एक दुकान देने प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया था बावजूद इसके करीब 20 वर्षो तक दानदाना परिवार के सदस्य को दुकान नहीं दिया जा सका था यह केवल कागजों में घूमता रहा। अभी वर्तमान में जानकारी मिली है कि स्कूल के इस जमीन में निर्मित सी-मार्ट के बगल वाले एक दुकान को दे दिया गया है परंतु इस बात की पुष्टि दुकान की मांग करने वाले दानदाता परिवार के अरूण देवांगन द्वारा किया जाना बाकी है।
मुंगेलीवासियों एवं रामानुज स्कूल में छात्र रह चुके लोगों का कहना है कि नगर पालिका और शासन-प्रशासन ने दानदाता परिवार के साथ अन्याय किया हैं और नगर पालिका ने दानदाता द्वारा शिक्षा के लिये दान दिये स्कूल की जमीन पर व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा हैं, क्योंकि नगर पालिका ने जो पत्र व्यवहार कर दानदाता रामानुज देवांगन से जो प्रथम तल पर स्कूल बनाने की बात कहीं गई थी नगर पालिका ने आज तक उसका पालन नहीं किया है। स्कूल और शिक्षा के लिये दान में दी गई भूमि का नगर पालिका व शासन-प्रशासन द्वारा व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा हैं जो कि बहुत ही पीड़ादायक व लज्जाजनक बात हैं। शासन-प्रशासन एवं अधिकारियों को चाहिये कि स्कूल के इस जमीन में बने सी-मार्ट का नाम दानदाता रामानुज देवांगन के नाम से किया जाये और जल्द से जल्द प्रथम तल पर रामानुज प्राथमिक शाला का निर्माण किया जाये।
अनिल सोनी पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका व वर्तमान प्रेस क्लब अध्यक्ष ने कहा कि मेरे नगर पालिका अध्यक्ष कार्यकाल में तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वार सन 2000 में दानदाता रामानुज देवांगन को पत्र व्यवहार कर जर्जर हो चुके रामानुज प्राथमिक शाला को तोड़कर कॉम्प्लेक्स निर्माण और प्रथम तल पर रामानुज स्कूल निर्माण की बात स्पष्ट तौर पे कही गई थी, जिसकी सहमति दानदाता ने भी दी थी उसके बाद भी आज दिनांक तक प्रथम तल पर रामानुज स्कूल का निर्माण नहीं कराया जा सका, जबकि स्कूल की जगह पर वर्तमान में व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा, यहाँ सीमार्ट का निर्माण हो चुका हैं, इसलिये नगर पालिका के पूर्व शर्त व पत्र व्यवहार के अनुसार तत्काल सीमार्ट के ऊपर प्रथम तल में रामानुज स्कूल का निर्माण किया जाना चाहिए एवं नामकरण दानदाता रामानुज देवांगन के नाम से किया जाना चाहिए। ताकि दानदाता परिवार को सम्मान मिल सके।
नगर पालिका उपाध्यक्ष मोहन मल्लाह ने कहा कि सन 2000 में जब मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा दानदाता रामानुज देवांगन को पत्र भेज जर्जर हो चुके रामानुज प्राथमिक शाला को तोड़कर कॉम्प्लेक्स निर्माण और प्रथम तल पर रामानुज स्कूल निर्माण की बात कही गई थी, जिसकी सहमति दानदाता ने भी दी थी उसके बाद भी आज दिनांक तक प्रथम तल पर रामानुज स्कूल का निर्माण नहीं कराया जा सका, जबकि स्कूल की जगह पर दुकान बना व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा जो कि अनुचित हैं, वर्तमान में जहां रामानुज स्कूल संचालित हैं वह भवन बहुत ही जर्जर हैं, इसलिए शासन-प्रशासन को चाहिए कि रामानुज के स्कूल वाले जमीन पर संचालित सीमार्ट के प्रथम तक पर स्कूल निर्माण किया जाए और वर्तमान में संचालित रामानुज स्कूल के भवन का तत्काल मरम्मत किया जाए। एक साल पहले समाचार छपने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम ने स्कूल का निरीक्षण किया था, मरम्मत का आश्वासन दिया गया था पर आज तक मरम्मत नहीं हो सका, जिससे स्कूली बच्चों की जान खतरे में हैं।