नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक मकान मालिक को लगभग तीन दशकों तक संपत्ति से वंचित रखने वाले किराएदार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने किराएदार की पिछले 11 वर्षों का बाजार दर के हिसाब से किराए का भी भुगतान करने के लिए कहा है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने इसे एक अद्भुत मामला करार देते हुए कहा कि व्यक्ति द्वारा किसी अन्य के अधिकारों को लूटने के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करने का यह सटीक उदाहरण है।
यह मामला पश्चिम बंगाल के अलीपुर का है। पीठ ने किराएदार को 15 दिनों के भीतर संपत्ति को मकान मालिक के सुपुर्द करने के लिए कहा है। अदालत ने साथ ही किराएदार को मार्च, 2010 से बाजार की दरों पर किराया देने का आदेश दिया है। तीन महीने के भीतर किराएदार को भुगतान करना होगा।
इसके अलावा न्यायिक समय की बर्बादी और मकान मालिक को अदालती कार्यवाही में घसीटते को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किराएदार पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी किया है। जुर्माने की यह रकम मकान मालिक को दी जाएगी।