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मुंगेली नपा अधिकारियों की लापरवाही से हुये ऊंट की मौत मामले में संज्ञान लेकर कार्यवाही करने देश की प्रसिद्ध पशु अधिकारवादी नेत्री व पर्यावरणविद् मेनका गांधी को लिखा गया पत्र…

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मुंगेली/ अभी हाल ही में हफ्ते भर पहले नगर पालिका की लापरवाही से हुये ऊंट की मौत मामले में देश की जानी मानी पशु अधिकारवादी व पर्यावरणविद राजनेत्री मेनका गांधी को पत्र लिखकर दोषियों पर कार्यवाही की मांग की गई है। आपको बता दे कि विगत कई दिनों से नगर में घूम रहे एक बीमार ऊंट को नगर पालिका द्वारा करोड़ों के भ्रष्टाचार वाले खंडहर रूपी गार्डन में छोड़ दिया गया था, जहां उस ऊंट की मौत हो गई थी। शहर में भटक रहे बीमार ऊंट को नगर पालिका ने अपने संरक्षण में लेकर खंडहर रूपी गार्डन में छोड़ दिया गया था, कुछ दिनों बाद वहीं पास के स्टेडियम जहां बहुत लोग अपने घूमने, खेलने व कसरत अभ्यास के लिये सुबह शाम आते-जाते रहते है, एकाएक वहाँ भयानक बदबू फैलने लगी, बदबू का मुख्य कारण उस ऊंट की मौत थी। जिसकी लोगों ने शिकायत की थी, ऊंट की मौत के बाद नगर पालिका द्वारा उसे पास में दफना दिया गया, अब विचारणीय प्रश्न यह है कि नगर पालिका जिसने उस बीमार ऊंट को अपने संरक्षण लेकर गार्डन में रखा गया था तो उस ऊंट के अचानक हुये मौत का जिम्मेदार कौन होगा ? और उस ऊंट की मौत की वजह स्पष्ट किये बिना नगर पालिका और जिला प्रशासन ने उसे दफना क्यों दिया ? ऊंट के मौत के बाद बगैर पोस्टमार्टम के उसे दफना दिया गया। ऐसे में कई सवाल नागरिकों ने खड़े किये है, साथ ही भारत-भास्कर के द्वारा देश की प्रसिद्ध पशु अधिकारवारी राजनेत्री व पर्यावरणविद् मेनका गांधी को पत्र के माध्यम से उन्हें ऊंट की मौत पर संज्ञान लेकर कार्यवाही करने आग्रह किया गया है। आपको बता दे कि मेनका गांधी राजनेता, पत्रकार, लेखिका होने के साथ-साथ उनकी एक अलग पहचान प्रसिद्ध पशु अधिकारवादी एवं पर्यावरणविद की भी है, ये पशु के अधिकारों के लिये अभियान चलाने के लिये जानी जाती है साथ ही देश में पशु अधिकारों के प्रश्न को मुख्यधारा में लाने का श्रेय इन्हीं को जाता है। बहरहाल देखना यह होगा कि मुंगेली में अधिकारियों की लापरवाही से हुये ऊंट की मौत पर आगे क्या होता है ? वर्षो से बंद पड़े खंडहर हो चुके गार्डन को ऊंट के लिये खोला जाना कितना उचित था ? यह नगर पालिका और जिला प्रशासन के अधिकारी ही बता सकते है।

पत्र का शेष भाग पढ़िये..