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तालाब पाटकर बनाया जा रहा अवैध काम्प्लेक्स… सुप्रीम कोर्ट, NGT, भूमि विकास नियम, छ. ग. शासन के नियम-कानून-निर्देशों की अनदेखी कर रहे मुंगेली जिला प्रशासन के अधिकारी… नगर पालिका के अधिकारियों पर हो कड़ी कार्यवाही…गूगल अर्थ में तालाब पाटने की स्पष्ट दिख रही तस्वीर….

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मुंगेली/ मुंगेली शहर में मल्हापारा शंकर मंदिर के आगे रवि गैस एजेंसी के सामने शंकर वार्ड तालाब पर अवैध रूप से एक विशालकाय व्यवसायिक काम्पलेक्स बनाया जा रहा है नगर पालिका से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली कि उक्त काम्पलेक्स का अनुमति नही लिया गया था और बिना अनुमति के ही तालाब पर विशालकाय काम्पलेक्स का अवैध निर्माण किया जा रहा है, शिकायत करने एवं समाचारों में यह समाचार प्रकाशित होते ही नगर पालिका द्वारा नोटिस संबंधी कार्यवाही की गई। यह अवैध काम्पलेक्स जिसका निर्माण किया जा रहा था नगर पालिका द्वारा रोक लगा दिया गया, तालाब के कुछ हिस्से को पाट कर एवं अतिक्रमण कर इस काम्पलेक्स का अवैध रूप से निर्माण किया जा रहा है। मल्हापारा शंकर मंदिर के इस तालाब के मेड़ एवं रास्ते को काटकर बेच दी गई है जिसमें वर्तमान में कई दुकानें एवं मकान बने हुये है, इस पर कोई कार्यवाही नहीं होने की वजह से काम्पलेक्स बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है, साथ ही तालाब के चारों ओर मेड़/रास्ता को पाट कर बेचने की तैयारी जोरों पर है जिसकी सूक्ष्म जांच की आवश्यकता है। तालाब पास अवैध काम्पलेक्स निर्माण के संबंध में पूर्व भी इस मामले को लेकर अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता स्वतंत्र तिवारी ने कलेक्टर सहित सम्बंधित अधिकारियों के पास लिखित शिकायत की थी, जिस पर फिलहाल रोक तो लग गया हैं परंतु प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार उक्त काम्प्लेक्स की अनापत्ति/अनुमति नगर पालिका ने दे दी हैं, जिसके बाद पुनः स्वतंत्र तिवारी के द्वारा कलेक्टर, मुख्य नगर पालिका अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को लिखित शिकायत कर नियमों-शर्तो से अवगत कराते हुए कहा गया कि तालाब के पास इस काम्प्लेक्स निर्माण की अनुमति नही दी जा सकती।
‘‘छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम 1984 के नियम 50 (ख) में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि स्थल उच्चतम जल चिन्हों से 9 मीटर की दूरी के भीतर हो और यदि आसपास में कोई बड़ा जल प्रवाह हो, तो उससे भूखंड की दूरी औसत उच्च बाढ़ चिन्ह से 9 मीटर या जल प्रवाह की निश्चित सीमा से 15 मीटर होगी, ऐसे में भूमि के किसी हिस्से का उपयोग भवन निर्माण के लिये स्थल के रूप में नही किया जायेगा।’’
माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी सन् 2001 को पारित आदेश में कहा था कि जंगल, तालाब, पोखर, पठार तथा पहाड़ आदि को समाज के लिये बहुमूल्य मानते हुये इनके अनुरक्षण को पर्यावरणीय संतुलन हेतु जरूरी बताया है और निर्देश है कि तालाबों को ध्यान देकर तालाब के रूप में ही बनाये रखना चाहिये उनका विकास एवं सौन्दयीकरण किया जाना चाहिये जिससे जनता उसका उपयोग कर सके।
इस नियम के तहत वर्तमान में नगर पालिका के द्वारा इस निर्माणाधीन काम्पलेक्स को निर्माण हेतु अनुमति नही दी जा सकती, और जानकारी मिल रही है कि नगर पालिका द्वारा इस काम्पलेक्स निर्माण पर पेनाल्टी लगा नगर पालिका अधिनियम के तहत अनुमति भी दी जा रही है जो कि छग भूमि विकास नियम 1984 का उल्लंघन है जिसके चलते यदि कभी भी नगर पालिका द्वारा इस काम्पलेक्स को निर्माण की अनुमति दी जाती है तो उसे तुरंत ही निरस्त करें एवं छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम के नियम 50 (ख) के तहत इस काम्पलेक्स को अवैध मानते हुये तत्काल तोड़ने की कार्यवाही किया जावे।
कलेक्टर को किये गए शिकायत में कहा गया कि उक्त संबंध में उनके द्वारा अगर 7 दिनों में उचित कार्यवाही नही की जाती है तो माननीय उच्च न्यायालय एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका लगाई जायेगी जिसकी संपूर्ण जवाबदारी आपकी होगी। अब देखना यह हैं कि जिला प्रशासन के अधिकारी नियम-कानून से अलग होकर कार्य करते हैं या नियमानुसार कार्यवाही करते हैं।

छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्रालय के निर्देशानुसार इस काम्प्लेक्स को नही दी जा सकती अनुमति/NOC

छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर अटल नगर के पत्र क्रमांक 11930/9015/2019/18 दिनांक 27/12/2019 जारी कर प्रदेश के समस्त आयुक्त नगर पालिक निगम छग एवं समस्त मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत छग को निर्देश देते हुये स्पष्ट कहा कि माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के आदेश दिनांक 10.05.2019 के परिपालन में राज्य के सभी तालाब/जल स्त्रोंतो का पुनर्नरूद्धार किया जाना है अतः निकाय क्षेत्रांतर्गत स्थित किसी भी तालाब या जल स्त्रोत पर व्यवसायिक या अन्य किसी प्रयोजन हेतु अनापत्ति/अनुमति किसी भी परिस्थिति में प्रदान नही किया जावे। उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने कहा गया, साथ ही समस्त कलेक्टर छत्तीसगढ़ की ओर माननीय NGT के आदेश के संदर्भ में पालनार्थ हेतु उन्हें प्रतिलिपि प्रेषित किया गया। नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्रालय द्वारा जारी इस निर्देश के अनुसार तालाब पर किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति या अनापत्ति नहीं दी जा सकती, अगर उसके बाद भी नगर पालिका द्वारा तालाब पर काम्प्लेक्स निर्माण की अनापत्ति या अनुमति दी गई हैं तो उसे तत्काल निरस्त करते हुए सम्बन्धित अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
आपको बता दे कि गूगल अर्थ में शंकर मंदिर तालाब को पाटने, तालाब पर अतिक्रमण कर किये जा रहे अवैध काम्प्लेक्स निर्माण की फ़ोटो स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं, जिसे आवेदक स्वतंत्र तिवारी ने आवेदन के साथ संलग्न भी किया हैं। अब देखना हैं कि जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा इस मामले में क्या कार्यवाही की जाती हैं।