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सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ेगी महिला मोर्चा, 20 फरवरी को होगा धरना प्रदर्शन

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महिला मोर्चा ने किया मीडिया को संबोधित
बालोद से कमलेश वाधवानी की रिपोर्ट
बालोद।
बालोद जिले की महिला मोर्चा भाजपा द्वारा प्रदेश के विभिन्न मुद्दों को लेकर आगामी 20 फरवरी को जिला स्तरीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा महिला मोर्चा की ज़िला अध्यक्ष दीपा साहू ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि यहां प्रदेश में जबसे कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई है दलित आदिवासी सहित हर समाज के हर वर्ग के खिलाफ संगीन अपराध की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। विभिन्न वर्गों की महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और अन्या मामलों की चिंताजनक वृद्धि पर कांग्रेस सरकार न केवल पूरी तरह खामोश है बल्कि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री तक इसे ‘छोटा अपराध’ कहने से नहीं हिचकते।
प्रदेश उपाध्यक्ष शीतल नायक ने कहा कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र के रूप में प्रसिद्ध कोरवा जनजाति की नाबालिग बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म और पिता भाई के समेत उनकी नृशंस ह्त्या ने, इस तिहरे हत्याकांड ने तो प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन फिर ही प्रदेश सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।ऐसा ही एक मामला जशपुर का अमानवीय और घृणित मामला सामने आया है जहां अंचल की बेटी को छः बार अलग-अलग लोगों के हाथ बेची गयी थी। और आजिज़ आ कर सातवीं बार में आत्महत्या कर ली। छत्तीसगढ़ देश में मावन तस्करी का एक केन्द्र बनता जा रहा है। इस संबध में पड़िता के पिता ने पुलिस थाने में 6 माह पूर्व शिकायत थी। इस सबके बाद भी पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नही किया।जिला भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष दीपा साहू ने कहा कि ऐसे अनेक मामलों में तो कांग्रेस के नेताओं या कांग्रेस समर्थित/संरक्षित लोगों की संलिप्तता भी लगातार सामने आ रही है। एक नाबालिग आदिवासी बेटी की बलात्कार के मामले में कांग्रेस नेता का शामिल होना, सरकार संरक्षित माफिया द्वारा धमतरी में आदिवासी जन-प्रतिनिधि की बर्बरतम पिटाई समेत अनेक घटनाओं की जानकारी आपको मिली ही होगी साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासी-दलित वर्ग के लोगों खासकर महिलाओं के साथ हो रही और हुई ऐसी हज़ारों घटनाओं ने प्रदेश का मस्तक शर्म से झुका दिया है। दुखद-दुर्भाग्यजनक बात यह है कि ऐसी घटनाओं को रोकने की बात तो दूर, प्रदेश शासन जिस पर क़ानून व्यवस्था को बनाये रखने की जिम्मेदारी है, उसके प्रतिनिधि कैबिनेट मंत्री शिव डहरिया ऐसी लोमहर्षक घटना को ‘छोटा अपराध’ कहते हैं। मंत्री के बयान से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी असहमति नहीं जताकर साफ़-साफ़ इस भावना को समर्थन दिया है। सस्ती राजनीति के लिए अन्य प्रदेशों की घटनाओं पर मुखर रहने वाले सीएम का अपने ही प्रदेश की इन तमाम घृणित घटनाओं पर मौन वास्तव में उन्हें भी अपराधी बनाती है।
प्रदेश महिला मोर्चा पूर्व अध्यक्ष खिलेश्वरी साहू ने कहा कि कुछ दिनों पहले ही एक दर्दनाक घटना बस्तर के केशकाल से सामने आई है। वहां दुष्कर्म की शिकार नाबालिग आदिवासी किशोरी न केवल 7-7 दोषियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई बल्कि कहीं से न्याय नहीं मिलने पर उसने आत्महत्या भी कर ली। फिर भी मामले को दबाने की भरसक कोशिश की गयी। अंत में आजिज़ आ कर किशोरी के पिता ने भी आत्महत्या की कोशिश की, तब मामला बाहर आ पाया है। मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा रिश्वत लेने समेत अन्यों द्वारा चावल आदि की रिश्वत लेकर घटना को दबा देने की खबर सामने आ रही है।
इससे पहले प्रदेश के सरगुजा संभाग के धरमजयगढ़ में कांग्रेस नेता और पूर्व जनपद सदस्य, कोल माफिया अमृत तिर्की द्वारा किये दुष्कर्म की बात हो, सुकमा, रायगढ़, बलरामपुर, कवर्धा, रायपुर, धमतरी आदि की नृशंस घटना हो। किसी भी मामले में शासन के किसी जिम्मेदार व्यक्ति के कान पर जूं नहीं रेंगी है। बलरामपुर की खबर देख कर तो रोंगटे खड़े हो जायें किसी के भी, वहां 9 माह के भीतर 104 ऐसे केस सामने आये हैं जिनमें 79 तो केवल नाबालिगों के खिलाफ दुष्कर्म हुए हैं। इसी तरह बिलासपुर में पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी से 30 अक्टूबर तक जिले के 20 थाना क्षेत्रों में 6 हजार से अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं। इनमें हत्या, चोरी, लूट, बलात्कार, मारपीट सहित अन्य माइनर एक्ट के अपराध भी शामिल हैं।
जिलाध्यक्ष दीपा साहू ने कहा कि लगातार ऐसी घटनाएं होना और उसकी रिपोर्ट तक नहीं लिखाने के पीछे सरकार का यह अलिखित आदेश लगता है कि ऐसी घटनायें दर्ज न किये जायें। ऐसा इसलिए क्योंकि राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े में प्रदेश में अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि का खुलासा हो रहा है। ऐसे में अपराध कम करने और दोषियों के खिलाफ कारवाई करने से अधिक ध्यान सरकार का मामले को छिपाने पर है, यह स्पष्ट दिख रहा है।
बावजूद इसके दर्ज हुए अपराधों के आंकड़े भी भयावह हैं। सदन में सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य में एक जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2020 तक डकैती, लूट, हत्या, बलात्कार और अन्य अपराधों के 17,009 मामले सामने आये हैं। इस दौरान यहां केवल बलात्कार के ही 2,575 मामले प्रकाश में आये हैं। यानि दुष्कर्म की लगभग 7 घटनाएं रोज सामने आ रही हैं। जिन घटनाओं की रपट ही दर्ज नहीं होती, उसका तो सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है।
एक नवीनतम आंकड़े के अनुसार पिछले दो वर्ष में 5347 बलात्कार और 4038 अपहरण के मामले सामने आये हैं। यहां फिर यह दुहराना होगा कि ये आंकड़े तो वे हैं जो दर्ज हुए हैं। जिन वारदातों को प्रदेश भर में दर्ज ही नहीं किया जाता है, उसकी तो सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। एक आकड़े के मुताबिक हर तीसरे घंटे आनचार एक का मामला दर्ज किया जा रहा है। हमेशा शांति के द्वीप रहा छत्तीसगढ़ अब अपराधगढ़ का स्वरूप लेता जा रहा है।
इन्हीं तमाम मामलों को लेकर भाजपा सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगी। इस 20 फरवरी को बुढ़ातालाब के पास धरना-प्रदर्शन के बाद पैदल मार्च करते हुए राजभवन जाकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा। ज़िला मुख्यालयों में भी धरना-प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा जाएगा, राजधानी सहित सभी ज़िला मुख्यालयों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के ख़िलाफ़ जन जागरण।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले इन आदिवासियों की सुरक्षा तक करने में प्रदेश सरकार नाकारा, ‘हल्ला बोल आंदोलन’ में पार्टी समेत सभी मोर्चा-प्रकोष्ठों की सक्रिय भागीदीरी का निर्णय लिया गया। धरना प्रदर्शन के साथ ही ‘सड़क से सदन तक हल्ला बोल’ आंदोलन के तहत विधानसभा सत्र के दूसरे सप्ताह विधानसभा का घेराव करने का निर्णय भी लिया गया है।