आदर्श गोठान नागझर में दिव्यांग समूह की बिहान की दीदियां कर रही हैं साग भाजी की खेती
छुरा/गरियाबंद:-ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट में है,ऐसे समय में छत्तीसगढ़ ने पूरे देश को एक राह दिखाने की कोशिश करते हुये छत्तीसगढ़ की भूपेष सरकार ने नरवा,गरवा,घुरवा अउ बाड़ी नाम की योजना की शुरूआत की है। प्रदेश में हो रहे इस प्रयोग की चर्चा मुख्यमंत्री बघेल ने नीति आयोग की बैठक में भी की थी और इस मॉडल का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर भी कर दिया गया छत्तीसगढ़ में हो रहे इस प्रयोग की सराहना अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलावा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी ज्यादा से ज्यादा लोगों की इस योजना में भागीदारी हो, इसके लिए मुख्यमंत्री खुद इस योजना की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्रथम चरण में यह योजना राज्य के 15 प्रतिशत (1665) ग्राम पंचायतों में लागू की गई है तथा संचालन की जिम्मेदारी ग्राम समितियों को सौंपी गयी है।गौरतलब हो कि सुराजी गांव योजना शासन की महत्वाकांक्षी योजना है,जिसमें नरवा,गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी को उन्नत बनाते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबुती प्रदान करना है। बहुआयामी इस योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल रही है। गौठान को आजीविका के केंद्र के रूप में विकसित करने का जो संकल्प लिया गया था,आज वह भौतिक धरातल पर साकार होता दिख रहा है। गरियाबंद जिले के विभिन्न गौठानों में आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित हो रही हैं,जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इन गतिविधियों में शामिल महिला समूह आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं। गौठानों में बाड़ी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत महिला समूह प्रमुखता से उद्यानिकी फसलों की खेती कर रही हैं, जिसमें परंपरागत फसलों का उत्पादन कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।
आदर्श गोठान नागझर में दिव्यांग समूह की दीदियां कर रही हैं साग भाजी की खेती
इस गौठान में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत स्व सहायता समूह की महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट निर्माण करने की विधि सीखने के अलावा गौठान पर सब्जी भाजी लगाकर ग्रामीण महिलाएं कमाई कर रही हैं। विकास खण्ड छुरा की बिहान शाखा से जुड़ी दीदियां बाड़ी विकास से आत्मनिर्भर बन रही हैं ग्राम पंचायत नागझर में बनाए गए गौठान मवेशियों के लिए अस्थायी आशियाना तो हैं ही,लेकिन अब यह गौठान ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार का केन्द्र भी बनता जा रहा है। शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत विकास खण्ड छुरा की की महिलाएं ने अपनी मेहनत से गौठान प्रोजेक्ट को खुद की कमाई का साधन बना लिया है। गौठान में रिक्त पड़ी भूमि को पसीने व मेहनत से सींचकर महिलाओं ने इसे खेती के अनूकूल बनाया और इसमें सब्जी व भाजी की खेती कर नकद फसल लेने का काम शुरू किया।जनपद पंचायत सीइओ सुश्री रुचि शर्मा (डिप्टी कलेक्टर) ने बताया कि शुरूआत में केवल गिने चुने समूह ही इसके लिए तैयार हुए थे लेकिन जब इसमें अच्छे नतीजे मिले तो धीरे-धीरे कर सभी महिला समूह गौठान में बाड़ी प्रोजेक्ट से जुड़ते चले गए।
सुश्री शर्मा का मानना हैं कि ग्रामीण विकास का अर्थ लोगों का आर्थिक सुधार और बड़ा समाजिक बदलाव दोनों ही है। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है।प्रारंभ में, विकास के लिए मुख्य जोर कृषि,उद्योग,संचार, शिक्षा,स्वास्थ्य और संबंधित क्षेत्रों पर दिया गया था। बाद में यह समझने पर कि त्वरित विकास केवल तभी संभव है जब सरकारी प्रयासों के साथ साथ पर्याप्त रूप से जमीनी स्तर पर लोगों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदारी हो,और इसके फलस्वरूप अब गौठान में लगाई गई सब्जी बेचकर महिलाएं रोजगार से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही है।
जिसमे नागझर के आदर्श गोठान में बिहान कार्यक्रम में जुड़ी दिव्यांग समूह – सत्यम शिवम, क्लस्टर- सांकरा की दीदियों के द्वारा शुरुआती दौर में आधा एकड़ भूमि पर मेथी,मूली,चौलाई भाजी,लाल भाजी, धनिया,पालक,लौकी,मूंग,भिंडी, कुसुम भाजी लगाकर आजीविका के रूप मे अपनाकर आय मे वृद्धि कर रहे है वर्तमान मे कुल 1100 का बिक्री कर लिए है। इस तरह यह योजना ग्रामीणों के लिए अनेक दृष्टि से काफी लाभप्रद होने से इस कार्य में ग्रामीणों के पूरी लगन से जुड़ने के कारण ग्राम नागझर की तस्वीर बदलने लगी है।
बहुउपयोगी साबित होता जा रहा है विकास खण्ड छुरा के ग्राम पंचायत नागझर का आदर्श गौठान गांव की बदलने लगी है तस्वीर
इस योजना के अंतर्गत गरियाबंद जिला के आदिवासी विकासखंड के ग्राम पंचायत नागझर में आदर्श गौठान बहुउपयोगी साबित होता दिखाई दे रहा है।इस गौठान एवं चारागाह का प्राकृतिक एवं भौगोलिक स्वरूप भी अत्यंत अनुकूल होने के कारण मनोरम दिखाई देता है। ग्राम नागझर स्थित यहां समुचित मात्रा में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के कारण इस गांव में बारहमासी खेती की जाती है। ग्राम नागझर में खेती किसानी के अलावा पशुपालन की परम्परा भी अत्यंत समृद्ध है। जिसके कारण फसलों को अपने गांव के अलावा अन्य अवारा पशुओं से रक्षा करना काफी चुनौतिपूर्ण कार्य होता हैं। लेकिन वर्तमान में ग्राम नागझर में आदर्श गौठान के निर्माण होने से पशुओं को इस गौठान में सुरक्षित रखने से गर्मी के मौसम में खेती-किसानी करने में काफी सहूलियत हो रही है।
इस वर्ष ग्रीष्म काल में ग्राम नागझर के किसानों के रबी फसलों को पशुओं के द्वारा किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाई गई है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ स़रकार की इस विशेष प्राथमिकता वाले इस योजना के फलस्वरूप ग्राम नागझर में गौठान के निर्माण करने से समग्र ग्राम की तस्वीर बदलने लगी है।
इस योजना के फलस्वरूप ग्राम में एक आदर्श गौठान के निर्माण के साथ-साथ पशुओं के लिए समुचित मात्रा में चारा उपलब्ध होने से पशुओं का ग्राम में अनावश्यक विचरण दिखाई नहीं दे रहा है।