नई दिल्ली। सरकार ने राज्यसभा में कहा कि उच्चतर न्यायपालिका के लिए स्थापित आंतरिक प्रकिया के अनुसार देश के प्रधान न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के आचरण के संबंध में शिकायतें प्राप्त करने के लिए सक्षम हैं। विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के आचरण के खिलाफ शिकायतें प्राप्त करने के लिए सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि प्राप्त शिकायतें और अभ्यावेदन समुचित कार्रवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश या संबद्ध उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेज दी जाती है। प्रसाद ने कहा कि राज्यों की अधीनस्थ अदालतो के सदस्यों के ऊपर प्रशासनिक नियंत्रण संबंधित उच्च न्यायालय का होता है। उन्होंने कहा कि उच्चतर न्यायापालिका में वृहद उत्तरदायित्व और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ‘न्यायिक मानक और उत्तरदायित्व विधेयक’ दिसंबर 2010 में लोकसभा में पेश किया गया था।
प्रसाद ने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों के साथ विधेयक पर विचार किया गया था और 29 मार्च 2012 को लोक सभा ने उस विधेयक को पारित कर दिया। लेकिन 15वीं लोकसभा के भंग होने के कारण उस पर राज्यसभा में विचार नहीं किया जा सका।