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बांग्लादेश के 4 उग्रवादियों ने किया सरेंडर, 2018 में एनएलएफटी में हुए थे शामिल

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अगरतला। बांग्लादेश के चार प्रशिक्षित उग्रवादियों ने गुरुवार को त्रिपुरा में सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण किया। तीनों 31 जनवरी को सीमा पार अपने शिविरों से भाग गए थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि चार नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) चरमपंथी-सेठी देबवर्मा (20), राजीब देबवर्मा (18), बिशाराम रियांग लालोंग (21) और जवमिना रियांग (27) दक्षिणपूर्व बांग्लादेश के रंगमाटी जिले के तहत बगरीचारी में अपने शिविरों से भाग गए।
पुलिस के आला अधिकारी अब उन चारों आतंकियों से पूछताछ कर रहे हैं। चारों त्रिपुरा के तीन अलग-अलग जिलों से हैं. पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शुरूआती पूछताछ के दौरान पता चला है कि आदिवासी गुरिल्लाओं ने 2018 और 2019 में गैरकानूनी एनएलएफटी में शामिल हो गए हैं। फिर उन्होंने बांग्लादेश के कैंप में प्रशिक्षिण लिया था। जानकारी के मुताबिक इस समय एनएलएफटी संगठन गंभीर वित्तीय और सांगठनिक संकट का सामना कर रहा है।
बयान में आत्मसमर्पण करने वाले चरमपंथियों के हवाले से कहा गया है एनएलएफटी चरमपंथियों ने हाल ही में एक छोटे व्यापारी की हत्या कर दी थी और त्रिपुरा में तीन सीमा बाड़ लगाने वाले मजदूरों का अपहरण कर लिया था। लेकिन 17 दिन की कैद के बाद तीन बंधकों को रिहा कर दिया था। सुपरवाइजर सुभाष भौमिक 48, जेसीबी चालक सुबल देबनाथ 37 वर्षीय व मजदूर गण मोहन त्रिपुरा 37 को एनएलएफटी उग्रवादियों ने पूर्वी त्रिपुरा के धलाई जिले के मालदा कुमार पाड़ा से अगवा कर लिया था, जबकि वे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा पर बाड़ लगाने के काम में लगे हुए थे।
नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) एक ईसाई आतंकवादी संगठन है जो भारत के त्रिपुरा में सक्रिय है। नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा का गठन 12 मार्च, 1989 को किया गया था। जिसके अध्यक्ष तब धनंजय रेनग (त्रिपुरा नेशनल वॉलंटियर्स के पूर्व उपाध्यक्ष) थे।