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जिले में गुंडरदेही थाने को मिली है अलग पहचान, वहीं टीआई हैं पुलिस की शान

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बालोद से कमलेश वाधवानी की रिपोर्ट
बालोद ।
जिले के गुंडरदेही के थाना व यहां के प्रभारी रोहित मालेकर की छग पुलिस प्रशासन में अलग पहचान बन गई अपने कार्यों व बेहतर पुलिसिंग से यह मुकाम हासिल किया गया है पिछले दिनों डीजीपी द्वारा पत्र लिखकर जहां छग के सभी एसपी को कहा गया था की साइबर जागरूकता कार्यक्रम चलाना हैं तो कोई रोहित मालेकर से सीखे जिनके द्वारा बेहतर काम किया जा रहा है डीजीपी के उक्त पत्र के बाद रोहित मालेकर के कार्यों से कई थानेदार प्रेरणा ले रहें हैं वर्तमान में भी थाने को संवारने व एक आदर्श थाना बनाने की दिशा में काम चल रहा हैजिस पर स्वयं एसपी सहित अन्य अधिकारी भी फोकस कर रहे हैं ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया के माध्यम से भी टीआई रोहित मालेकर साइबर क्राइम के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। वे जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सचते कर रहे हैं। साइबर क्राइम से कैसे बचा जा सकता है, इसके लिए वह नए-नए सुझाव वैसे कोटेशन और मैसेज भी भेजते हैं। उनके इस काम को पुलिस महानिदेश की ओर से सराहना मिली है। वह पुलिस महकमे के लिए एक आइडल बनकर उभरे हैं। पुलिस महानिदेशक आर के विज से उनके कामों की प्रशंसा करते हुए सभी पुलिस अधिक्षक को पत्र लिखा था । जिसमें श्री मालेकर की तरह साइबर जागरूकता अभियान के लिए सक्रिय पुलिस अधिकारियो की नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है। छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक कार्यालय से जारी पत्र में प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षक को जारी पत्र में लिखा गया था कि प्रदेश में बढ़ते हुए साइबर अपराध की रोकथाम के लिए स्कूल-कालेज के छात्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अतः साइबर अपराधों के प्रति समाज में व्यापक सजगता लाने छात्रों को इस विषय में जागरूक करना वांछनीय है। इस संबंध में निम्नलिखित दिशानिर्देश दिए जाते हैं।
जिले में ऐसे निरीक्षक-उपनिरीक्षक जो साइबर के क्षेत्र में कार्यरत रहें हो और साइबर अपराध की रोकथाम के लिए स्वरूचि से अभियान को “साइबर लीड अधिकारी” के रूप में नियुक्त किया जाए। कुछ निकरीक्षक-उपनिरीक्षक इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे है। जैसे जिला बालोद में निरीक्षक रोहित मालेकर। ऐसे पुलिसकर्मियों की पहचान कर उन्हें “साइबर लीड अधिकारी“ के रूप में नियुक्त किया जाए और कार्यालय को सूचित किया जाए।
प्रत्येक अनुभाग में पदस्थ एसडीओपी- सीएसपी को निर्देशित करें कि साइबर लीड अधिकारी के नेतृत्व में प्रत्येक माह में कम से कम 2 कालेज और 5 स्कूल में साइबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाए। वर्तमान परिदृष्य में कोविड माहामारी के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों के बंद हो ने की स्थिति में ऑनलाइन ग्रुप बनाकर भी छात्रों को इस संबंध में जागरूक किया जा सकता है। प्रति माह आयोजित किए गए कार्यक्रम का विवरण इस कार्यालय को प्रेषित करना सुनिश्चित करें। जनवरी 2021 से सभी के अतिरिक्त प्रतिमाह 5 पंचायत स्तर पर भी यही अभियान चलाया जाए।
बाल मित्र थाने से भी एक अलग पहचान गुंडरदेही थाने को बाल अपराधों के प्रति जागरूकता लाने के लिए बालमित्र थाना के रूप में डेवलप किया गया है। जहां पुलिस प्रशासन बच्चों से दोस्ती बढ़ाने के लिए पहल कर रही। ताकि बच्चों के मन से पुलिस का भय दूर किया जाए और यह वातावरण निर्मित किया जाए कि बच्चे खुद से आकर रिपोर्ट लिखा सके। उनके साथ हुई किसी घटना को भी छिपा ना सके और एक-एक चीज सामने रख सके।
बच्चों के मन से पुलिस का भय दूर करने के लिए इस बालमित्र थाने में स्कूली बच्चों को विजिट भी करवाया जाता है, ताकि वे पुलिस की गतिविधियों को जान सके और उनसे करीब से जुड़ सके। थाने को अब प्ले स्कूल की तरह सजा दिया गया है, ताकि बच्चे जब यहां आए तो डरे नहीं बल्कि खुद को घर, स्कूल या आंगनबाड़ी जैसा महसूस करें।
गुंडरदेही टीआई रोहित मालेकर ने बताया कि जूनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत यह प्रावधान है कि हर थाने में बालमित्र कक्ष की स्थापना हो। जहां एक बाल कल्याण अधिकारी और डेस्क प्रभारी हो। जहां बच्चों से संबंधित होने वाले अपराधों की एंट्री हो और उन अपराधों का जल्द से जल्द निराकरण किया जाए। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर थाने को बालमित्र थाना के रूप में डेवलप किया गया है।
जिले में चेतना अभियान की शुरुआत भी यहीं से टीआई ने बताया कि गुंडरदेही थाने से ही जिले में चेतना अभियान की शुरुआत की गई है। जिसके तहत स्कूली बच्चों को पुलिस से जोड़ने का काम किया जा रहा है। स्कूली बच्चों के बीच विधिक साक्षरता शिविर भी लगा रहे हैं। बच्चों से संबंधित अपराधों पर संवेदनशीलता से काम करने के लिए यह सब प्रयास हो रहा है, ताकि थाने का माहौल बदले और बच्चे बेझिझक होकर अपनी बात रख सके।