नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 78वां दिन है। लेकिन कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध का अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और भरोसे का भी आंदोलनकारी किसानों पर कुछ फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है। पीएम मोदी ने किसानों से अपील की है कि इस आंदोलन को खत्म कर दिया जाए है। इन सबके बीच किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है। किसानों ने 12 फरवरी को राजस्थान में जहां टोल प्लाजा फ्री कराने का ऐलान किया है, वहीं 18 फरवरी को देशभर में रेल रोको अभियान का ऐलान किया है।
किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि हम हरियाणा सरकार में शामिल बीजेपी और जेजेपी के विधायकों से कहेंगे कि या तो आप हमारे आंदोलन का साथ दीजिए या फिर सरकार का साथ छोड़ दीजिए। उन्होंने कहा इसके साथ हमने राजस्थान के लोगों से कहा है कि सारे टोल प्लाजा को खोल दिया जाए।
किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें कानून वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है। किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 2 अक्टूबर तक सरकार हर हाल में कृषि कानूनों को वापस ले ले। वहीं सरकार का कहना है कि वो इसमें संशोधन के तैयार है लेकिन कृषि कानून वापस नहीं होगा।
आपको बता दें कि इन कानूनों को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतक 11 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।
गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील है।