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कांग्रेसियों ने झलमला से निकाली पद यात्रा, बैलगाड़ी में भी सवार होकर की नारेबाजी

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बालोद। किसानों के समर्थन में कांग्रेसियों द्वारा बुधवार को बालोद में पदयात्रा निकाली गई. पदयात्रा झलमला बस स्टैंड से कांग्रेस भवन तक निकली। इस दौरान बैलगाड़ी में भी कांग्रेसी सवार हुए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते चलते रहे। तीन नए कृषि कानून को कांग्रेसियों ने किसानों के लिए नुकसानदायक बताया। बस स्टैंड झलमला में ही पद यात्रा से पहले नेताओं ने संबोधित किया। नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अनिल यादव व ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष चन्द्रेश हिरवानी के नेतृत्व में यह पदयात्रा आयोजित थी।
जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष चन्द्रप्रभा सुधाकर ने कहा गया कि कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने और देश के अन्नदाताओं को बर्बाद करने मोदी सरकार ने 3 नए कृषि कानून बनाया है. जिसे फौरन केंद्र सरकार को रद्द करना चाहिए. अब कृषि उपज इसके जरिए बड़े कारपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है. इसका असर यह होगा कि निजी मंडियों को खुली छूट मिलने से आने वाले वक्त में कृषि उपज मंडियों की प्रासंगिकता को समाप्त कर देगी. मंडी के बाहर नए बाजार पर पाबंदियां नहीं है और ना ही कोई निगरानी. कानून में प्रावधान है कि सरकार को अब बाजार में कारोबारियों के लेनदेन कीमत पर खरीद की मात्रा की जानकारी नहीं होगी. बड़े उद्योगपतियों कारपोरेट घरानों के जाल में फंसकर यह कानून बनाया गया है. कानून के अनुसार सरकार बाजार में दखल देने जरूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर पाएगी. नगर कांग्रेस अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कृषि सुधार के नाम पर किसानों को निजी बाजार के हवाले किया जा रहा है. हाल ही में देश के बड़े पूंजीपतियों ने रिटेल ट्रेड में आने के लिए कंपनियों का अधिग्रहण किया है. सबको पता है कि पूंजीपति कारपोरेट घराने एक समांतर मजबूत बाजार खड़ा कर देंगे. इनके प्रभाव के आगे पूरी मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी. ठीक वैसे ही जैसे मजबूत निजी टेलीकॉम कंपनियों के आगे बीएसएनएल समाप्त हो गई. ब्लॉक अध्यक्ष चन्द्रेश हिरवानी ने कहा वर्तमान व्यवस्था के तहत मंडियां ही एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करती है, यह खत्म होगी तो एमएसपी की पूरी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी. नतीजा यह होगा कि किसान औने पौने दाम में फसल बेचेंगे। नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा ने कहा – केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है. दरअसल में यह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग है. इस कानून के तहत किसान की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति, ठेकेदार किराए पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा. यानी किसान बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे. संजय चन्द्राकर ने कहा – विवाद की स्थिति में कारपोरेट घराने केस जीत जाएंगे. सच यह है कि देश के अधिकतर किसान तो कॉन्ट्रैक्ट ना पढ़ पाएंगे, ना समझ पाएंगे. कानून के अनुसार विवाद होने पर कॉन्ट्रैक्ट कंपनी के साथ किसान का विवाद 30 दिन के अंदर निपटाया जाएगा. अगर ऐसा नहीं हो पाया तो किसानों को ब्यूरोक्रेसी के सामने न्याय के लिए हाजिर होना पड़ेगा. इसमें भी न्याय न मिला तो 30 दिन के लिए एक ट्रिब्यूनल के सामने पेश होना पड़ेगा. हर जगह एसडीएम अधिकारी मौजूद रहेंगे. धारा 19 में किसान को सिविल कोर्ट के अधिकार से भी वंचित रखा गया है .यानी किसानों को उपज सही दाम हासिल करने के लिए महीनों तक का चक्कर काटना पड़ेगा.
कांग्रेसियों ने कानून को बताया सबके लिए खतरनाक
कांग्रेसियो ने तीसरे कानून “आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक” यह न सिर्फ किसानों के लिए बल्कि आमजन के लिए भी खतरनाक बताया है. इस कानून से कृषि उपज जमा करने की कोई सीमा नहीं होगी. उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट रहोगी. सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टाक है और कहां है? यह तो जमाखोरी और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने जैसा है. सरकार ने कानून में साफ लिखा है कि वह सिर्फ युद्ध या भुखमरी या किसी बहुत विषम परिस्थिति में ही रेगुलेट करेगी. सरकार कह रही है कि किसान उपज का भंडारण कर मार्केट में दाम सही होने पर अपनी उपज बेच सकेंगे. पर सवाल यह है कि देश के 90 फ़ीसदी किसानों के पास भंडारण की सुविधा नहीं है. यह सुविधा कारपोरेट घरानों के पास है. लिहाजा इस कानून के जरिए कारपोरेट घराने आसानी से अनाज की जमाखोरी करेंगे और रेट बढ़ाकर बेचेंगे. सीधा फायदा इन पूंजीपतियों को होगा. जिनके पास भंडारण व्यवस्था बनाने के लिए एक बड़ी पूंजी उपलब्ध है. वह आसानी से सस्ती उपज खरीदकर स्टोर करेंगे और जब दाम आसमान छूने लगेंगे तो बाजार में बेचकर लाभ कमाएंगे. कांग्रेसियों ने कहा केंद्र सरकार अगर किसानों की हितैषी है और ईमानदार है तो किसानों की एमएसपी का कानूनी अधिकार देने के साथ ही एमएसपी बढ़ाएं ताकि किसानों को उपज का सही दाम मिल सके. जिस तरह छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार धान सहित अन्य उपज अधिक दाम पर खरीदने राजीव गांधी न्याय योजना शुरू की है, उसी तरह सरकार पूरे देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा करें, वरना कारपोरेट घराने को फायदा पहुंचाने के लिए और किसानों को आर्थिक रुप से बर्बाद करने के लिए लागू किए गए कृषि कानूनों को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार के द्वारा पारित किसान बिल के विरोध में एवं दिल्ली में आन्दोलन करते हुए 150 किसानों ने शहादत दिया है उन किसानों के मांगो के समर्थन में एक दिवसीय पदयात्रा का आयोजन झलमला चौक से बालोद कांग्रेस भवन तक किया गया था। जिसमें बालोद जिले की कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा चंद्रप्रभा सुधाकार , पूर्व अध्यक्ष कृष्णा दुबे, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय चन्द्राकर , ब्लॉक अध्यक्ष चंद्रेश हिरवानी, शहर अध्यक्ष अनिल यादव, नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा, पुरषोत्तम पटेल वरिष्ठ कांग्रेसी, दानीपटेल,रामजी भाई पटेल, विनोद बंटी शर्मा, नगर पालिका सभापति पद्मनी साहू, विधायक प्रतिनिधि कमलेश श्रीवास्तव , जमील बख्श,रविप्रकाश यादव, कल्याणी चन्द्राकार, पुष्पेंद्र तिवारी, सतीश यादव, हसीना बेगम एल्डरमेन, देवेंद्र साहू,मीडिया प्रभारी, आदित्य दुबे जिला सयोंजक युवा कांग्रेस, नरेन्द्र देशलहरा विधान सभा अध्यक्ष, कुलदीप यादव, जिला अध्यक्ष एनएसयूआई, समस्त पार्षद गण, किसान कांग्रेस, महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, एनएसयूआई सभी कार्यकर्ता शामिल रहे।