छुरा/गरियाबंद:-गरियाबंद जिला अन्तर्गत जनपद पंचायत छुरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) सुश्री रुचि शर्मा ने एक अभिनव पहल की हैं जिसमे “हमर गांव,हमर जिम्मेदारी” नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही हैं।जिसके तहत विकास खण्ड छुरा अन्तर्गत की सभी 74 ग्राम पंचायतों के सरपंच को प्रशिक्षण दिया जाएगा जिसमें उन्हें छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम की एवं शासन की योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी जिसमे जनपद अध्यक्ष , उपाध्यक्ष व जनपद सदस्य और मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा प्रत्येक गुरुवार वारी-वारी से गांव में चौपाल लगाया जाएगा जिसमें अन्य ब्लॉक स्तरीय अधिकारी भी मौजूद रहेंगे जिसमें गांव में चौपाल लगाकर गाँवो से संबंधित समस्याओं का निराकरण किया जाएगा जिसमे त्रि-स्तरीय पंचायती राज के तहत ग्राम पंचायतों के निर्वाचित सरपंचों व पंचों का आधारभूत प्रशिक्षण में पंचायत प्रतिनिधियों को पंचायती राज की बारिकीयों सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा सरपंचो को उनके मौलिक अधिकारों व कर्तव्यों के बारे में बताया जायेगा तथा स्वच्छ भारत अभियान में महत्वपूर्ण अपनी अहम भागीदारी निभाने पर जोर भी दिया जायेगा “हमर गांव,हमर जिम्मेदारी कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के तहत प्रत्येक ग्राम में किसी तरह से गंदगी न रहे लोगों को शौच के लिए खुले स्थान में जाना न पड़े इस हेतु सभी घरों में शौचालय का निर्माण किया गया तथा उनके उपयोग के लिए प्रेरित भी करना करना है तभी सरकार के इस महात्वाकांक्षी योजना का वास्तविक क्रियान्वयन होगा। ऐसा कार्ययोजना बनाई जाए कि सरकार की जनकल्याण कारी योजनाओं का सीधा लाभ आम लोगों तक पहुंच सके। प्रशिक्षण से व्यक्ति के कार्य कौशल में वृद्धि होती है। पंचायत में काम करने के लिए पंचायती राज अधिनियम का पालन करना होता है इसलिए प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रतिनिधिगण अधिक दक्षता और योग्यता के साथ पंचायत राज में अपनी सेवाएं दे सकेंगे। ग्राम पंचायतों को लोकतंत्र की प्रथम ईकाई हैं सरपंचो के प्रशिक्षण में कुशल प्रशिक्षकों के द्वारा पंचायती राज की अधिक से अधिक से जानकारी आप लोगों का प्रदान की जायेगी। जिसे पूरे मनोयोग के साथ ग्रहण कर उस पर अमल करना भी जरूरी हैं।
क्या कहते हैं मुख्य कार्यपालन अधिकारी
इस संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) सुश्री रुचि शर्मा से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि जैसा कि हम सभी जानते हैं प्राचीन काल से ही ग्रामीण भारत के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक जीवन में पंचायतों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।पंचायतों का प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी स्वयं ग्रामवासियों को दी गई है। जिसे ‘स्वशासन’ कहते हैं। स्थानीय स्वशासन में मुखिया को सरपंच कहा जाता है,स्थानीय लोकतंत्र में सरपंच पद बहुत ही प्रतिष्ठित और गरिमापूर्ण है। सरपंच ग्रामसभा द्वारा निर्वाचित ग्राम पंचायत का सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है।सरपंच पद को अधिकांश राज्यों में ग्राम-प्रधान, सरपंच, मुखिया, ग्राम्य प्रमुख या अन्य नामों से भी जाना जाता है। सरपंच पद की महत्ता पंचायती राज अधिनियम-1992 के बाद सरपंच पद का महत्व और भी बढ़ गया है। केंद्र और राज्य सरकार ग्राम्य विकास की तमाम योजनाएं पंचायतों के जरिए संचालित की जाती है।वर्तमान समय में पंचायतों के विकास के लिए हर साल लाखों रूपये ग्राम्य-निधि में आते है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद-243 के तहत पंचायती राज व्यवस्था में ग्रामसभा और ग्राम पंचायत की गठन का प्रावधान किया गया है।जिस तरह से हमारे देश में मंत्रिमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होते हैं उसी प्रकार ग्रामसभा और पंचायत का प्रमुख सरपंच होता है। अतः सरपंच और ग्राम पंचायत की भूमिका गाँव के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।सुश्री शर्मा ने आगे कहा कि हमारे देश में सरपंच का चुनाव कैसे होता है? हमारे देश में लगभग 250000 ग्राम पंचायतें हैं जिनके तहत करीब छह लाख गाँव आते है। इन ग्रामीण ईलाकों में पंचायत चुनाव कराकर स्थानीय शासन स्थापित करने की व्यवस्था है। ग्राम पंचायत जनसंख्या के आधार पर बनाई जाती है। इन ग्राम पंचायत के लिए प्रत्येक राज्य में अलग-अलग जनसंख्या तय की गई है। ग्राम पंचायत में कई वार्ड भी होते हैं जिनके प्रतिनिधि को वार्ड पंच कहा जाता है। इन्हीं वार्ड पंचों में एक उपसरपंच को भी निर्वाचित किया जाता है। इसके अलावा इन निर्वाचित सदस्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा एक पंचायत सचिव की नियुक्ति की जाती है। सरपंच ग्राम पंचायत के सभी वार्ड पंचों, उपसरपंच और पंचायत सचिव की सहायता से गाँव के विकास कार्यों का संचालन करता है। सरपंच का चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष के बाद ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट में शामिल मतदातों के द्वारा किया जाता है। सबसे ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को राज्य चुनाव आयोग सरपंच घोषित करती है। इसी प्रकार वार्डों में भी जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उसे उस वार्ड का वार्ड पंच चुन लिया जाता है।सरपंच चुनाव में कैसे होता है सीटों का निर्धारण आपके मन में हमेशा यह प्रश्न रहता होगा कि ग्राम पंचायत में सीटों का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है। तो बता दें, पंचायत चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग गाँव की जनसंख्या के अनुपात और रोस्टर व्यवस्था के आधार पर SC/ST/OBC के लिए सीट निर्धारित करती है।वर्तमान समय में महिलाओं के लिए पंचायती राज अधिनियम में 50% सीटें आरक्षित है। गाँव में उसी वर्ग का सरपंच बनता है, जिस वर्ग के लिए पंचायत में सीट आरक्षित की गई है। जैसे- महिला सीट निर्धारित है, तो वहाँ सिर्फ महिला ही सरपंच बन सकती हैं। इसी प्रकार SC/ST/OBC के लिए निर्धारित सीट पर उसी वर्ग की महिला या पुरूष चुनाव के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं। यही व्यवस्था वार्ड पंचों के लिए भी अपनाई जाती है।सरपंच बनने की योग्यता सरपंच पद के उम्मीदवार का नाम उस ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में होना अनिवार्य है। सरकारी कर्मचारी सरपंच/वार्ड पंच का चुनाव नहीं लड़ सकता हैं सरपंच बनने के लिए कई राज्यों में 8वीं पास या साक्षर होना जरुरी है। लेकिन यह बाध्यता सभी राज्यों में नहीं है। सरपंच बनने के लिए जरूरी कागजात सरपंच या वार्ड पंच का चुनाव आप तभी लड़ सकते हैं।
सरपंच के शक्तियाँ
सुश्री शर्मा ने आगे कहा कि सरपंच को ग्रामसभा तथा ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और अध्यक्षता करने की शक्तियाँ प्राप्त है। ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियाँ सरपंच को प्राप्त होती है। ग्राम पंचायत के अधीन कार्यरत कर्मचारियों के कार्यों पर भी प्रशासकीय देखरेख और नियन्त्रण रखने का अधिकार सरपंच को है। सरपंच की जिम्मेदारियाँ गाँव का मुखिया होने के नाते सरंपच ग्रामसभा की बैठकों की भी अध्यक्षता करता है। प्रतिवर्ष ग्रामसभा की कम से कम 6 बैठकें आयोजित करना सरपंच का अनिवार्य दायित्व है। सरपंच को चाहिए कि गाँव में सर्वांगीण विकास के लिए कई कदम उठाए। सरपंच को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्रामसभा की बैठकों में दिए गए सुझावों पर प्राथमिकता के साथ चर्चा की जाए। ग्राम सभा की बैठकों में लोगों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरपंच को उपाय करने चाहिए । सरपंच को सभी वर्गों के लोगों, खासकर SC/ST, पिछड़े वर्गों और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अलावा सभी को अपनी शिकायतों को दर्ज करने और ग्रामसभा में सुझाव देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। पंचायत राज अधिनियम-1992 के अनुसार सरपंच ग्रामसभा की बैठक आयोजित करने के लिए भी बाध्य है। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो ग्रामसभा द्वारा इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की जा सकती है। सरपंच के कार्य सरपंच गाँव का मुखिया होता है उसे गाँव के मुखिया के रूप में गाँव की भलाई के लिए फैसले लेने होते हैं। मुख्य रूप से सरपंच निम्नलिखित कार्य करता है। जैसे- गाँव में सड़कों का रखरखा व पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना सिंचाई के साधन की व्यवस्थादाह संस्कार व कब्रिस्तान का रखरखाव करनाप्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देना खेल का मैदान व खेल को बढ़ावा देना स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ा ना गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था आँगनवाड़ी केंद्र सहित अन्य कार्यों को सुचारु रूप से चलाने में मदद करना हैं।
कार्यक्रम का उद्देश्य
सुश्री शर्मा ने बताया कि “हमर गाँव हमर ज़िम्मेदारी”कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायतों एवं ग्राम सभा की क्षमता व प्रभावशीलता में अभिवृद्धि पंचायतों में आम-आदमी की भागीदारी की प्रोन्नति, पंचायतों को लोकतांत्रिक रूप से निर्णय लेने एवं उत्तरदायित्व निभाने हेतु सक्षम बनाना, जानकारी एवं पंचायतों की क्षमतावृद्धि हेतु पंचायतों के संस्थागत ढांचे को मजबूत करना, 73वां संविधान संशोधन की भावना के अनुरूप अधिकारों एवं उत्तरदायित्वों का पंचायतों को सुपुर्दगी, पंचायती राज व्यवस्था के अन्तर्गत जन सहभागिता, पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने हेतु ग्राम सभाओं का सुदृढ़ीकरण तथा संवैधानिक व्यवस्था के पंचायतों को सशक्त रूप देना है।