बिलासपुर संभाग/ दो वर्षों पहले हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री एवं चार बार के विधायक रहे अमर अग्रवाल को हराकर शैलेश पांडेय कांग्रेस से बिलासपुर का विधायक बनने में तो कामयाब हो गए लेकिन 2 साल गुजर जाने के बाद भी बिलासपुर की जनता ने जिस आशा और उम्मीदों के साथ बदलाव पर मोहर लगाई थी उसमें शहर के विधायक शैलेश पांडे निखट्टू साबित हो रहे हैं। इसे कांग्रेस की गुटबाजी कहा जाए या पैराशूट प्रत्याशी की जीत ? खुद विधायक की बेचारेपन की नेतागिरी का तरीका हो ? सच तो यह है कि जनता की सेवा के लिए चुने गए प्रतिनिधि अपने उद्देश्यों की पूर्ति में गौण हो गए हैं, बिलासपुर की जनता की समस्याएं वही की वही धरी है और विधायक अपनी सहानुभूति का रोना रोते आए दिन विवादास्पद ढंग से सुर्खियों में बने रहते हैं। एक छोटी सी बात शायद उनको समझ नहीं आ रही है कि जनता के दुख दर्द दूर करने के लिए बिलासपुर की जनता ने उन्हें विधायक चुना है ना कि विधायक के दुख दर्द को दूर करने के लिए… नेताओं की माने तो बिलासपुर विधायक अक्सर सहानुभूति का रोना लिए खुद के निकम्मेपन को छिपाने बेचारा और बेबस छवि लिए जनहित के मामलों मे छुप जाते हैं और गाहे-बगाहे फोटो खिंचवाने में सबसे आगे नजर आते हैं, ऐसा लगता है मानो उनकी जो सच्चाई सत्ता दल के स्थानीय संगठन को अच्छे से समझ में आ गई थी इस कारण से उनको कांग्रेस में आए दिन विवादों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का मानना है कि विपक्ष में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के खेमे के अंतर विरोधियों का समर्थन और सहानुभूति शैलेश के साथ हैं और अपने मीडिया कौशल के सहारे जनता के नुमाइंदे बनने की बजाय बिलासपुर की जनता के सामने नई नई नौटंकिया पेश करते रहते हैं। ऐसे में भाजपाइयों ने कहा कि उनका एक्सीडेंटल विधायक हो जाने की बात देर से ही सही पर, जनता को धीरे-धीरे समझ आ रही है । विधायक महोदय को यह समझना चाहिए दिखावेपन और बेचारेगी का मुखौटा लगाकर कर बिलासा नगरी का विकास संभव नहीं है इतना जरूर है आए दिन नौटंकी कर मामलों को विवादास्पद जनप्रतिनिधियों की लिस्ट में वे अग्रिम पंक्ति में आ चुके है। उनके विषय में अफवाहों का बाजार तो यहां तक गर्म है अपने दिल्ली कनेक्शन के बलबूते कांग्रेस नहीं बल्कि अन्य किसी पार्टी से भी अगला चुनाव लड़ सकते हैं ? क्योंकि उनके अनुसार जो तवज्जों उन्हें पार्टी में मिलनी चाहिए वह शायद उन्हें नहीं मिल रही, वैसे भी आजकल के राजनीतिक मौसम में कौन सा पंछी किस खाने उड़कर कौन सा रंग ले ले? सियासी कुश्ती में यह अनुमान लगा पाना बहुत कठिन होता है ? लेकिन आने वाले समय में बिलासपुर के राजनीतिक इतिहास में उनका कार्यकाल लोक- कल्याण के लिए किए गए प्रयासों की बजाएं बेचारगी और विवादों के लिए जाना जाएगा। बहरहाल जो भी हो पिछले दिनों ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति पर हुए विवाद के मामले में मुख्यमंत्री के प्रवास के दौरान हुए विवाद पर पर्दा डालने के लिए कांग्रेस की जांच कमेटी बिलासपुर पहुंचकर दोनों पक्षों बात जरूर कर रही है और हो सकता हैं कल दोनों गले में बाहें डाल कर फोटो खिंचवाते पेपर में नजर आए ? लेकिन विधायक शैलेश पांडेय अपनी बेचारगी की विवादित गाथा को साबित करने में फिर कामयाब हो गए है। भाजपाईयों ने बिलासपुर विधायक की बेचारगी को एक्सीडेंटल विधायक की संज्ञा दी हैं। कई नेताओं ने कहा कि खुद विधायक शैलेश के खिलाफ थानों में FIR दर्ज हैं और वे भूपेश सरकार और पुलिस को नसीहत देते फिरते हैं लॉकडाउन की अवधि में जब सरकार द्वारा शराब दुकान खोलने का निर्णय लिया गया तो उस समय विधायक शैलेश ने फिर भूपेश सरकार पर सवाल उठाते हुए उन्हें नसीहत देने की कोशिश की थी और प्रदेश शासन के ही मुख्य सचिव से शराब दुकान खोलने के निर्णय पर पुनर्विचार करने कहा गया। इसके अलावा पुलिस के खिलाफ भी विधायक शैलेश पांडेय ने थाने के वर्चुअल उद्धाटन में अनर्गल बयान दिया था।