लंदन। ब्रिटेन में सोमवार से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की तरफ से विकसित कोविड-19 टीके का टीकाकरण शुरू हुआ। पहला टीका ऑक्सफोर्ड में जन्मे 82 वर्षीय ब्रायन पिंकर को दिया गया जिनकी किडनी के रोग के चलते डायलिसिस की जा रही है। ब्रायन पिंकर को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में मुख्य नर्स ने यह टीका लगाया। इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के चरणबद्ध टीकाकरण कार्यक्रम में एक मील का पत्थर बताया जा रहा है।
ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित टीका कोरोना वायरस से बचाव के लिए ऐसा दूसरा टीका है जिसे मंजूरी मिली है। इससे पहले फाइजर-बायोएनटेक के टीके को मंजूरी दी गई थी। दूसरे टीके की शुरुआत ऐसे समय में की गई जबकि ब्रिटेन में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। देश में पिछले छह दिनों में रोजाना 50,000 से अधिक संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। रविवार को ब्रिटेन में 54,990 नए मरीज सामने आए।
स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ ब्रिटेन की लड़ाई में यह निर्णायक क्षण
है क्योंकि टीकों के माध्यम से संक्रमण के प्रसार की रोकथाम में सहायता मिलेगी और प्रतिबंधों को भी हटाने का रास्ता साफ होगा। ऑक्सफोर्ड में जन्मे पिंकर कई सालों से किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं और उनकी डायलिसिस की जाती है। उन्होंने कहा कि वायरस से सुरक्षा मिलने पर उन्हें प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है और अब वह बिना चिंता के अपना उपचार जारी रख सकते हैं। उन्होंने कहा, आज कोविड-19 का टीका लगवाकर मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है और बहुत गर्व का अहसास हो रहा है क्योंकि यह टीका ऑक्सफोर्ड में ही बनाया गया है।
पिंकर के अलावा 88 साल के संगीत शिक्षक ट्रेवोर कॉलेट और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में बालरोग विशेषज्ञ एंड्रयू पोलार्ड को भी सोमवार को टीका लगाया गया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, ऑक्सफोर्ड द्वारा टीका विकसित करना ब्रिटेन के विज्ञान की जीत है। मैं इसके विकास एवं उत्पादन में शामिल सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।
उन्होंने आगे कहा, मैं जानता हूं कि आने वाले हफ्तों और महीनों में हमारे सामने चुनौतियां बनी हुई हैं लेकिन मुझे भरोसा है कि इस साल हम कोरोना वायरस को हरा देंगे और फिर उठ खड़े होंगे।
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप में निदेशक और ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल के प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर पोलार्ड ने कहा, `मेरे लिए वह अभूतपूर्व गर्व का पल था, जब मुझे वह टीका लगा जिसे बनाने के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका की टीम ने इतनी मेहनत की ताकि इसे ब्रिटेन और दुनिया को उपलब्ध करवाया जा सके।