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बैराजों से विगत दो वर्षो मेें लाईनिंग कार्य से किसानों के सिंचाई का रकबा बढ़ा

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राजनांदगांव। राजनांदगांव जिले में बैराजों के निर्माण से सिंचाई निरंतर प्रगति की ओर है । विगत दो वर्षो में बैराजों में सिंचाई के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। शासन द्वारा किसानों के हित में कार्य करते हुए उन्हें सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव कार्य किया जा रहा है।
मोंगरा बैराज परियोजना से सिंचाई सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई है। इस परियोजना की रूपांकित सिंचाई क्षमता बायी तट नहर से से 9431 हेक्टेयर एवं दांयी तट नरह से 890 हेक्टेयर है। इसकी सिंचाई क्षमता में वृद्धि कर रूपांकित सिंचाई क्षमता एवं वास्तविक सिंचाई क्षमता के अन्तर को कम करने के उद्देश्य से 1, भण्डारी भर्दा माईनर सिंचाई क्षमता 642 हेक्टेयर, 2 पांगरी माईनर 1050 हेक्टेयर के प्रस्ताव वर्ष 2020-21 के बजट में शामिल किये गये है । साथ ही नदी में उपलब्ध जल के अधिकतम उपयोग किये जाने हेतु मोंगरा मोहड़-खरखरा जलसंवर्धन योजना के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है। इससें एनएचपीसीएल, नगर निगम राजनांदगांव को पेयजल हेतु एवं खरखरा मोहदी पाट परियोजना के कमाण्ड में 1950 हेक्टेयर सिंचाई हेतु कुल 100 मि.घ.मि. जल आपूर्ति किये जाने के प्रस्ताव है । गत वर्ष इस परियोजना से 7765 हेक्टेयर खरीफ 1061 रबी तथा नगर निगम राजनांदगांव को पेयजल हेतु जल आपूर्ति की गई थी। इस वर्ष खरीफ में 7823 हेक्टेयर सिंचाई की गई तथा रबी हेतु 1120 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है । साथ ही नगर निगम राजनांदगांव को पेयजल आपूर्ति हेतु 650 एमसीएफटी जल सुरक्षित रखा गया है
घुमरियानाला बैराज परियोजना में 39 करोड़ 98 लाख रूपए की लागत से लाईनिंग कार्य आरंभ है। जिससे सिंचाई की क्षमता में वृद्धि होगी। इस परियोजना के रूपांकित सिंचाई क्षमता खरीफ 3050 हेक्टेयर एवं रबी 150 हेक्टेयर है। रूपांकित सिंचाई क्षमता एवं वास्ताविक सिंचाई के अन्तर के कम करने के उद्देश्य से नहर प्रणाली के लाईनिंग के कार्य स्वीकृत लागत 39.98 करोड़ हेतु विगत दो वर्षो से कार्य प्रगति पर है। वर्तमान में कुल नहर प्रणाली की लम्बाई की 46.26 किलोमीटर के विरूद्ध 17.475 किलोमीटर लाईनिंग कार्य हो चुका है। लाईनिंग कार्य पर अब तक कुल 23.77 करोड़ रूपए व्यय हो चुका है। इस वर्ष खरीफ में 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई।
खातूटोला बैराज परियोजना की रूपांकित क्षमता 1950 हेक्टेयर है । इसके डूबान में प्रभावित 15.50 हेक्टेयर वनभूमि के निराकरण हेतु अंतिम स्वीकृति 30 जुलाई 2020 को प्राप्त हुई है। अत: इसकों पूर्ण क्षमता अनुरूप जल भण्डारण कर रूपांकन अनुरूप सिंचाई हो सकेगी।