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राजस्व मंत्री ने किया तहसीलदार को सस्पेंड, 26 एकड़ जमीन के नामांतरण में गड़बड़

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बिलासपुर। राजस्व मंत्री ने तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड करने का वजह जमीन से जुड़े एक मामले को लेकर की गई है। पेंड्राडीह स्थित सरकारी जमीन को व्यापारियों व अन्य लोगों के नाम करने के आरोप के चलते राजस्व मंत्री ने तहसीलदार को सस्पेंड किया है। नेता प्रतिपक्ष द्वारा कलेक्टर को इस संबंध में पत्र लिखे जाने के बाद राजस्व मंत्री ने तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जमीन से जुड़े एक मामले में आरोपित बिल्हा के तहसीदार सत्यपाल राय को छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बुधवार को सस्पेंड कर दिया है। इन पर यह कार्रवाई जमीन से जुड़े एक मामले में की गई है। तहसीलदार राय पर आरोप है कि उसने पेंड्राडीह स्थित सरकारी जमीन को व्यापारियों व अन्य लोगों के नाम कर दी है। इस मामले को लेकर दो दिन पहले ही नेता प्रतिपक्ष और बिल्हा के विधायक धरमलाल कौशिक ने कलेक्टर को पत्र लिखकर शिकायत की थी।
26 एकड़ सरकारी जमीन की दूसरे के नाम
बताया जाता है कि बिल्हा तहसीलदार ने 26 एकड़ की सरकारी जमीन को कुछ व्यापारियों और अन्य लोगों के नाम कर दिया था। इस आशय की खबर प्रकाशित किए जाने के बाद विधायक धरमलाल कौशिक ने कलेक्टर को इसकी जांच करने के लिए पत्र लिखा था। इसकी जानकारी होने पर राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बिल्हा तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया है। बताया जाता है कि 26 एकड़ सरकारी जमीन का नामांतरण कर मुआवजा भी तहसीलदार ने वसूला था।
भ्रष्टाचार करोड़ों में
राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बताया कि जिस जमीन को खुर्द-बुर्द किया गया। उस पर से नेशनल हाइवे भी है। विधायक द्वारा इस मामले को ले कर की गई शिकायत के बाद उन्होंने इसके संबंध में बिलासपुर कलेक्टर और एसडीएम से चर्चा की थी। इसके बाद फौरन दोषी को विरुद्ध कार्रवाई की गई। प्रथम दृष्टया में यह मामला करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार का है। इसकी जांच के लिए आदेश दे दिए गए हैं। मंत्री ने यह भी आशंका जताई है कि प्रदेश में अन्य जगह भी ऐसी की कई मामले हो सकते हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने उठाए थे सवाल
नेता प्रतिपक्ष व विधायक धरमलाल कौशिक ने कलेक्टर के लिखे पत्र में बताया है कि 90 साल से ग्रामीण जमीन का उपयोग करते आ रहे हैं। पेंड्रीडीह की यह जमीन शासकीय भूमि जिसका खसरा नंबर 249, 219ए, 278, 556 है उसका नामांतरण तहसीलदार सत्यपाल राय ने किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर कर दिया। जबकि यह जमीन निस्तार की है। इसलिए राजस्व अधिकारियों द्वारा ऐसा करना गलत है।