रायपुर। प्रदेश में आबकारी विभाग की खामोशी से मध्यप्रदेश की शराब को अवैध रूप से सिमगा और बलौदाबाजार में खुलेआम बेचा जा रहा है। यहाँ प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी चुप्पी साधे हुए है। लाखों रूपये की मध्यप्रदेश की शराब छत्तीसगढ़ के शराब के मुकाबले कम रेटों में अवैध रूप से खपाने का जरिया सिमगा से लेकर बलौदाबाजार बना हुआ है। आज भी धड़ल्ले से बिना रोक टोक मध्यप्रदेश की शराब आपको सेवन के लिए कम रेट में जगह-जगह मिल सकती है बशर्ते आपको जानकारी हो कि, अवैध शराब किन मोहल्ले व शहरों में किनके द्वारा बेचा और खपाया जा रहा है। सुबह 5 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक आपको जब चाहिए मध्यप्रदेश से अवैध रूप से लायी गई शराब बलौदाबाजार में कम रेट में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। शासन प्रशासन इन परिस्थितियों से अवगत होने के बाजवूद भी कोचियों के खिलाफ कार्यवाही करने से बचते नजर आ रहे हैं।
बलौदाबाजार और इसके आसपास के इलाकों में अवैध रूप से मध्यप्रदेश की शराब खप रही है। सीमावर्ती जिलों में शराब की तस्करी के दौरान पुलिस की नजर में आये मामलों में स्थानीय वाहन और युवकों की संलिप्तता उजागर होने से यह साबित हो रहा है। बलौदाबाजार में शराब के अवैध विक्रय की चर्चाओं को भी इससे बल मिल रहा है। इन सबके बावजूद आबकारी विभाग की शराब तस्करों के खिलाफ कायम खामोशी से प्रश्नचिन्ह उभर आया है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी है कि जिले में शराब के अवैध कारोबार से जुड़ा कोई बड़ा मामला हाल फिलहाल उजागर नहीं हुआ है।
जब हमारे संवादाता को इस अवैध शराब के अवैध कारोबारियों के खिलाफ सबुत मिला तो हमारे संवादाता सिमगा के समीपस्थ से होने वाले इस अवैध व्यापारी जो की सिमगा के खरघट हिरमी का रहने वाला बतलाया जा रहा है जिसका नाम तथाकथित संजय धृतलहरे है। जो की इस तस्करी का मुख्य सरगना बतलाया जा रहा है और यही व्यक्ति यह फिक्स करता है की किस कोचिया को कितनी शराब देनी है और नहीं ! जब हमारे संवादाता ने उससे संपर्क किया तब हमारे संवादाता को पता चला की असल में यह अवैध शराब का तस्कर के तार बलौदाबाजार, पडकीडीह व मोहरा, हिरमी, सुहेला आदि कई जगहों में जुड़े हुए है । उससे जब हमारे संवादाता ने शराब के खरीदी की बात की तो वह शराब देने को राजी हो गया लेकिन जैसे ही उसको यह जानकारी हुई की वह एक मीडियाकर्मी से बात कर रहा है तो वह अपनी ऊँची पहुंच का हवाला का हवाला देते हुए उलटे संवादाता हो डरने धमकाने लगा। कहने लगा उल्टा शराब तस्करी में तुझे ही फंसा दिया जायेगा। इस तरह के अवैध व्यापारियों की धरपकड़ नहीं होने से जिले के आबकारी महकमे की भूमिका पर सवालिया निशान लग रहा है।
दरअसल शराब का अवैध विक्रय रोकने की मुख्य जवाबदारी आबकारी विभाग की है। हालांकि समय-समय पर पुलिस विभाग की ओर से भी छापामार कार्यवाही को अंजाम दी जाती रही है। लेकिन जब से क्राइम ब्रांच को भंग कर दिया है उसके बाद से अपराधी और असामाजिक तत्वों में पुलिस को लेकर पहले जैसा खौफ नदारद है। शराब तस्करों के बुलन्द हौसले की वजह इसे भी मानी जा सकती है। लेकिन आबकारी विभाग आखिर क्यों चुप बैठा है यह समझ से परे है। इस पूरी पड़ताल में यह भी बात पता चली की संजय सिंह के द्वारा स्थानीय पुलिस को भी अच्छी खासी रकम हर महीने दी जाती है।
बताया जाता है कि बलौदाबाजार में कई ऐसे इलाके हैं जहां सरकारी शराब की दुकानें रात 09 बजे बंद होने तथा अगले दिन सुबह 08 बजे खुलने के बीच के समय में अवैध रूप से शराब की खरीदी बिक्री चल रही है। सरकार द्वारा शराब बेचने के निर्णय को लागू किए जाने के बाद दुकानों की संख्या सीमित हो गई है। वहीं ज्यादातर दुकानें रहवासी इलाकों से दूर खोले गए हैं। इस वजह से भी शराब के शौकीन अपने आसपास के अवैध कारोबारियों से खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस वजह से शराब तस्करी से जुड़े असामाजिक तत्वों की अच्छी खासी कमाई हो रही है। इसी कमाई के लालच में ही मध्यप्रदेश से शराब की तस्करी होने की संभावना को बल मिल रहा है।