आज से शुरू हुआ धान खरीदी का महापर्व
रायपुर। आज से छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदने की शुरूआत हो रही है। राज्य में इस साल धान बेचने के लिए 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने पंजीयन कराया है, जिनके द्वारा बोये गए धान का रकबा 27 लाख 59 हजार 385 हेक्टेयर है। छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना संकट के बावजूद भी धान खरीदी में किसी भी तरह की कमी न होने देने के लिए संकल्पित है। किसान और खेती राज्य की असल पूंजी है। खेती-किसानी और किसानों को सहेजने का जतन कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य के विकास की असल पूंजी को सहेज रहे हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने किसानों को संकट से उबारने के लिए उन्हें सीधे मदद दी है।
21 लाख 29 हजार 764 किसानों का पंजीयन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की किसान हितैषी नीतियों के चलते दो सालों के दरमियान खेती-किसानी के रकबे और किसानों की संख्या में इजाफा हुआ है। धान बेचने के लिए पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 15.77 लाख से बढ़कर 21.29 लाख और रकबा 24.46 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 27.59 लाख हेक्टेयर हो गया है। किसानों की संख्या में 5.52 लाख और धान के पंजीयन रकबे में 3.13 लाख हेक्टेयर की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस साल बीते वर्ष की तुलना में ज्यादा खरीदी का अनुमान है। इसको लेकर राज्य शासन द्वारा हर संभव व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है। भाजपा सरकार ने किसानों से किए गए अपने वायदों को कभी भी पूरा नहीं किया। 2100 रूपए क्विंटल में धान खरीदी और बोनस देने का वादा करके भाजपा सरकार उससे मुकर गई। भाजपा सरकार के 15 वर्षों के कार्यकाल में बमुश्किल अधिकतम 12 लाख किसानों की धान खरीदी की, जब कि भूपेश सरकार ने सत्ता में आते ही वर्ष 2018-19 में 15.71 लाख तथा वर्ष 2019-20 में 18.38 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी कर एक रिकार्ड कायम किया। भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 में 56.88 लाख मीट्रिक टन खरीदा गया था, जबकि हमारी सरकार ने वर्ष 2018-19 में 80.38 लाख मीट्रिक टन एवं बीते वर्ष 83.94 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी की है।
मंदी से अछूता रहा छत्तीसगढ़
देश भले ही मंदी के दौर से गुजर रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ में मंदी का कोई असर नहीं है। सरकार की गांव, गरीब, किसान, व्यापार और उद्योग हितैषी नीतियों से समाज के सभी वर्गों में खुशहाली है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान और तेंदूपत्ता की देश में सबसे अधिक कीमत पर खरीदी, किसानों की कर्ज माफी, सिंचाई कर की माफी, सुराजी गांव योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना के जरिए राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अब तक लगभग 70 हजार करोड़ रूपए से अधिक की राशि ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों और लघु वनोपज संग्राहकों को दी जा चुकी है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के बाजारों में रौनक है। छत्तीसगढ़ में ऑटोमोबाइल, सराफा सहित अन्य सेक्टरों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ में किसानों को सर्वाधिक मूल्य
छत्तीसगढ़ राज्य देश का इकलौता राज्य है, जहां सर्वाधिक मूल्य पर धान की खरीदी हो रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों से जो वादा किया था, उसको पूरा किया है। इसके चलते जनता का विश्वास सरकार के प्रति बढ़ा है। हमारे पड़ोसी राज्य बिहार, ओडि़शा और झारखण्ड में 1000-1100 रूपए क्विंटल में धान बिक रहा है। वहां के किसान आर्थिक संकट में है। छत्तीसगढ़ राज्य में किसान की बेहतरी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों का ही यह परिणाम है कि ग्रामीणों और किसानों विश्वास और समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है।
किसानों का कृषि ऋण माफ एवं सिंचाई कर माफ
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की बागडोर संभालते ही राज्य के 17 लाख 82 हजार किसानों का लगभग 9 हजार करोड़ रूपए का कृषि ऋण माफ कर किसानों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने के साथ ही उन्हें आत्म विश्वास से भर दिया था। प्रति क्विंटल 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू कर सरकार ने किसानों से किए अपने वायदे को पूरा किया था। किसानों के हित में हमारी सरकार ने जो तीसरा बड़ा निर्णय लिया, वह था किसानों के उपर बकाया सिंचाई कर की माफी। राज्य के 17 लाख से अधिक किसानों पर बकाया सिंचाई कर की 244.18 करोड़ रूपए के कर माफ कर दिया गया। इसके साथ ही कृषि भूमि के अधिग्रहण पर मुआवजा राशि को दोगुना से बढ़ाकर चार गुना करने के साथ ही राज्य के 5 लाख से अधिक किसानों को निःशुल्क एवं रियायती दर पर बिजली उपलब्ध कराकर सालाना लगभग 900 करोड़ रूपए की राहत दी गई।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना
कोरोना संकट के चलते राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए राज्य के किसानों को राहत पहुंचाने का काम किया है। यह योजना वास्तव में फसल उत्पादकता बढ़ाने, किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य और सम्मान दिलाने की योजना है। इस योजना के तहत चार किश्तों में किसानों को कुल 5750 करोड़ रूपए की राशि सीधे मदद के तौर पर दे रही है। छत्तीसगढ़ सरकार अब तक तीन किश्तों में किसानों को 4500 करोड़ रूपए की मदद दे चुकी है। इसका सीधा लाभ खेती-किसानी और किसानों को हुआ है। खरीफ विपणन वर्ष 2019 में जब फिर से 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की बारी आई तो केंद्र सरकार ने 2500 रुपये समर्थन मूल्य में धान खरीदने पर सेंटर पूल से चावल नहीं खरीदने का अड़ंगा लगा दिया। ऐसी स्थिति में हमारी सरकार ने किसानों को सीधे मदद पहुंचाने और उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की। इससे लाभान्वित होने वालों में 90 प्रतिशत लघु सीमांत अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग एवं गरीब तबके के किसान है। इसके जरिए राज्य के किसानों को मौके पर मिली मदद ने खेती-किसानी के लिए संजीवनी का काम किया है और इससे किसानों का उत्साह बढ़ा है। तीन किश्तों में 4500 करोड़ रूपए की सीधी मदद से खरीफ की खेती में किसानों मदद मिली है। किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है।
सुराजी गांव योजना से स्वावलंबन को बढ़ावा
प्रदेश सरकार की सुराजी गांव योजना नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी के विकास से गांव में स्वावलंबन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। स्थानीय संसाधनों के संरक्षण और विकास में लोगों की भागीदारी बढ़ी है। गांवों में बने गौठान आजीविका के केंद्र बनते जा रहे हैं। राज्य के लगभग 6430 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। गौठानों में पशुओं के संरक्षण और संवर्धन की व्यवस्था के साथ ही वहां हरे चारे का उत्पादन, महिला समूह द्वारा सामूहिक रूप से सब्जी की खेती, फलदार पौधों का रोपण और जैविक खाद के उत्पादन के साथ ही अन्य आय मूलक गतिविधियों का संचालन गांव को स्वावलंबी बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
गोधन न्याय योजना
राज्य में गौपालन, ग्रामीण रोजगार, आर्थिक गतिविधियों और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई 2020 हरेली पर्व से गोधन न्याय योजना शुरू की है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार 2 रुपये किलो में गोबर खरीदने वाली देश-दुनिया की इकलौती सरकार है। गौठानों में गोबर क्रय की व्यवस्था सुनिश्चित कर एक ओर जहां ग्रामीणों और गो-पालकों को सीधा लाभ पहुंचाने का सार्थक प्रयास किया गया है, वहीं दूसरी ओर गौठानो में इसके माध्यम से वृहद पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन कर छत्तीसगढ़ राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल की है। राज्य में गोधन न्याय योजना के माध्यम से अब तक क्रय किए गए 26 लाख 76 हजार क्विंटल गोबर के एवज में पशुपालकों एवं ग्रामीणों को 53.53 करोड़ रूपए का भुगतान किया है।
छत्तीसगढ़ किसानों के हितों की रक्षा
केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों से किसानों एवं आम नागरिकों के हितों पर हो रहे कुठाराघात के चलते छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन किसानों के हितों की रक्षा की है। 27 अक्टूबर 2020 को छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र आहूत कर मंडी अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव पारित किया। इसके जरिए कृषि उपज के क्रय-विक्रय पर निगरानी, डीम्ड मंडी एवं इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संशोधन के जरिए छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ अन्याय न होने देने के अपने संकल्प को पूरा किया है।