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रामा बिल्डकॉन ने सरकार को गुमराह कर शासकीय-कोटवारी भूमि पर हासिल की विकास अनुज्ञा

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संयुक्त संचालक ने जारी किया नोटिस
रायपुर।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों शासकीय भूमि पर अतिक्रमण और अवैध आवासीय कॉलोनी डेव्हलप करने का काम चरम पर चल रहा है। इस संबंध में रायपुर के मेसर्स रामा बिल्डकॉन ने भूमि को निजी बताकर नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से अपने विकास कार्य का नक्शा पास करवा लिया। इसके बाद शासकीय भमि की मांग करने मेसर्स रामा बिल्डकॉन ने कलेक्टर रायपुर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसे उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए शासकीय भूमि आबंटित नहीं करने राजकुमार दुबे ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए शासकीय भूमि के आबंटन पर रोक लगा दिया। उच्च न्यायालय की ओर से शासकीय भूमि के आबंटन पर रोक के बाद जब नगर तथा ग्राम निवेश विभाग हरकत में आया तब टीम के सामने कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। टीम ने जांच में पाया कि शासकीय भूमि के साथ-साथ कोटवारी भूमि को शामिल कर विकास अनुज्ञा हासिल की गई है। इस पर संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने मेसर्स रामा बिल्डकॉन के संचालक राजीव अग्रवाल को नोटिस जारी किया है। नोटिस में संयुक्त संचालक ने लिखा है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में राजस्व एवं आपदा प्रबंध विभाग के पत्र के बाद समस्त कोटवारी भूमियों को शासकीय मद में दर्ज कर लिया है। इसकी पुष्टि उच्च न्यायालय बिलासपुर ने भी की है।
संयुक्त संचालक ने नोटिस में 7 दिन के भीतर रामा बिल्डकॉन से जवाब प्रस्तुत करने की बात कही है। वहीं उन्होंने इस विकास योजना के लिए प्रस्तुत नक्शा को अवैधानिक कृत्य मानते हुए निरस्त करने की भी बात कही है। संयुक्त संचालक ने योजना का नक्शा निर्माण करने वाले आर्किटेक्ट राजेन्द्र जैन से भी 7 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।
वहीं याचिकाकर्ता राजकुमार दुबे ने शासन से राम बिल्डकॉन की स्वीकृत विकास अनुज्ञा रद्द करने की मांग की है, जिससे आम जनता ठगने से बचे। उल्लेखनीय है कि राजधानी में पूर्व में हुए स्वागत विहार घोटाला भी सरकार के सामने है। इसके पीडि़तों को अब तक राहत नहीं मिली है।