50000 से भी ज्यादा कर चुके है फ्री सर्जरी
रायपुर। राजधानी रायपुर के पचपेढ़ी नाका स्थित कालड़ा मल्टी स्पेशालिटी हॉस्पिटल के संचालक और कॉस्मेटिक व रिकन्स्कट्रक्टीव सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा विगत 30 वर्षों से दो भागों में कटे हुए अंगों को चमत्कारी रूप से जोड़ने का करिश्मा करते आ रहे है। डाॅ. सुनील कालड़ा ने चांपा निवासी दयाल (बदला हुआ नाम) को नई जिंदगी दी है। डॉ. कालड़ा ने बताया कि चांपा निवासी दयाल का दाया हाथ कलाई से इंडस्ट्रीयल एरिया में काम के दौरान कट गया था। जिसे कंपनी द्वारा सही समय पर कालड़ा मल्टी स्पेशालिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। डॉ. सुनील कालड़ा द्वारा सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। दाये हाथ की कलाई जोड़ी गई और हाथ बचा लिया गया। उन्होंने बताया कि अभी तक 2500 से भी ज्यादा मरीजों के कटे अंगों को जोड़ चुके है। विगत 30 वर्षो से छत्तीसगढ़ में अपना सफल योगदान दे रहें है।
इस हॉस्पिटल में कॉस्मेटिक इलाज से संबंधित विभिन्न प्रकार की अत्याधुनिक मशीने के अंतर्गत इलाज लिपोसक्शन, हेयर रिमूवल, मोल रिमूवल, हेयर ट्रांसप्लांट, फेस सर्जरी, लिप करेक्शन, रहिनोप्लास्टी, वेजिनोप्लास्टी, लेजर फेसिअल ट्रीटमेंट, झुर्रियां, झाइयां, बिना ऑपरेशन के फेस लिफ्ट व बिना ऑपरेशन के चर्बी को कम करना, कैलोइड, बै्रेसट सर्जरी, डिम्पल एवं फेयरनेस आदि ईलाज किया जाता है। संस्थान के संचालक व अंचल के प्रसिद्ध कॉस्मेटिक व रिकन्स्कट्रक्टीव सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा को विभिन्न अवार्डों से नवाजा जा चुका है।
विगत 30 वर्षों से डॉ. सुनील कालड़ा द्वारा दो भागों में कटे हुए अंगों को चमत्कारिक रूप से जोडऩे का करिश्मा किया जा रहा है। चिकित्सकीय कार्य के क्षेत्र में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान, डॉ. बी.सी. राय अवॉर्ड, आदिवासी क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य हेतु इमरजिंग छत्तीसगढ़ अवार्ड, गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड क्लीफ्ट लीफ सर्जरी से नवाजा गया है। उन्होंने आगे बताया कि अभी तक 2500 से भी ज्यादा मरीजो के कटें अंगों को जोड़ चुके हैं तथा पूर्व में समाचारों के माध्यम से भी कुछ मरीज आ चुके हैं. डॉ. कालड़ा ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन माइक्रोस्कोप में देखकर करना पड़ता है। और मरीज को सघन निगरानी की जरूरत होती है। क्योंकि इसमें एक-एक सूक्ष्म नसों को आपस में जोडऩा पड़ता है। यदि दुर्घटना में कोई अंग कट जाए तो उसको सुरक्षित रखने के लिए पालीथीन में बर्फ रखकर, डॉक्टर के पास भेजा जा सकता है। उन्होंने बताया कि बहुत ज्यादा चोट, क्रश या जगह जगह कटे अंगों को जोडऩा संभव नहीं है। इस प्रकार के ऑपरेशन स्पेशल सेंटर में होते हैं हम विगत 30 वर्षों से छत्तीसगढ़ में अपना सफल योगदान दे रहे हैं।