Home छत्तीसगढ़ जब कोरोना नहीं था तब मुंगेली की साहित्य समितियां सोई थी…अब कोरोना...

जब कोरोना नहीं था तब मुंगेली की साहित्य समितियां सोई थी…अब कोरोना संकट हैं तो शरद पूर्णिमा मनाने कवि सम्मेलन का कर रहे आयोजन…साहित्य समितियों की चंदाखोरी से बढ़ रहा जनाआक्रोश….

217
0

मुंगेली/ बात 2019 के आश्विन माह में आने वाली शरद पूर्णिमा की हैं जिसकी सुध लेने किसी साहित्यकार के पास समय नहीं था जिससे ऐसा लगा कि मुंगेली के साहित्यकार कुंभकर्णी निंद्रा में सोए हुए थे, जिस पर मुंगेली के कई साहित्यकारों और पत्रकारों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी नाराजगी प्रगट की थी, उसके बाद भी मुंगेली के साहित्य समितियों के कान में जु तक नहीं रेंगी..खुद को साहित्यकार समझने का भ्रम पालने वालों की मुंगेली में कमी नहीं हैं। मुंगेली की सबसे पुरानी माने जाने वाली आगर साहित्य समिति के वर्तमान नेतृत्वकर्ता पर चंदाखोरी जैसे कई आरोप समिति के सदस्यों के द्वारा ही लगाया गया, साहित्यिक सम्बन्धी दौरे जब होते हैं तो समिति के मुखिया चंदा के लिए दरवाजा खटखटाने में बिल्कुल परहेज नही करते, और वह भी समिति के बाकी सदस्यों के बगैर सहमति के। खैर बात यहाँ आगर साहित्य समिति और अन्य साहित्यिक समिति के निष्क्रियता की हो रही हैं, सत्र 2019 के शरद पूर्णिमा पर मुंगेली के किसी साहित्यिक संगठन ने कोई आयोजन करना उचित नहीं समझा, ऐसी भी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि 2019 में समिति को चंदा नही मिला होगा ? क्योंकि कोई भी व्यक्ति या संस्थान किसी को बार-बार चंदा क्यों दें ? परंतु सत्र 2020 में कोरोना महामारी का प्रकोप फैला हुआ हैं तो ऐसे स्थिति में अब आगर साहित्य समिति और राष्ट्रीय कवि संगम संयुक्त रूप से शरद पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आज दिनांक 01.11.2020 को कवि सम्मेलन रखा गया हैं जिससे यह स्पष्ट होता हैं कि 2019 में निष्क्रिय रहने पर साहित्य समितियों के हुए आलोचनाओं पर इस वर्ष कोरोना काल में भी यह आयोजन किया जा रहा हैं।