निम्रवर्ग के समक्ष भूखे मरने की नौबत
रायपुर। लॉकडाउन के आज दूसरे दिन भी राजधानी में पुलिस की सख्ती नजर आई। चौक-चौराहों में पुलिस की सख्त पहरेदारी और बेरिकेटिंग के चलते सड़कों पर बेवजह निकलने वाले लोगों पर लगाम कसा है। इधर लॉकडाउन का असर भी अब लोगों के जीवन पर पडऩे लगा है।
राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर लगाम कसने के लिए इस समय राज्य का आधा से ज्यादा हिस्सा लॉक हो चुका है। अलग-अलग जिलों में अलग-अलग दिनों से जारी लागू लॉकडाउन 28, 29, 30 सितंबर और 02 अक्टूबर तक चलेगी। इस दौरान इन जिलों में कोरोना संक्रमण की संख्या का विश्लेषण होगा, लॉकडाउन के पहले यहां से कितने मरीज औसतन मिल रहे थे और लॉकडाउन के बाद यहां से कितने मरीज मिले? इन आंकड़ों के विश्लेषण के पश्चात जिला कलेक्टर यह तय करेंगे कि लॉकडाउन आगे बढ़ाया जाएगा अथवा नहीं। इन आंकडों को बकायदा राज्य सरकार तक भी पहुंचाया जाएगा और पूरे तथ्यों के साथ अवगत कराया जाएगा। इसके बाद फिर से उच्च स्तरीय बैठक होगी और अंतिम निर्णय लिया जाएगा। हालांकि आगे लॉकडाउन होगा या नहीं इस बात पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं है। लेकिन जानकार सूत्रों की माने तो सकारात्मक परिणाम मिलने पर लॉकडाउन एक सप्ताह के लिए और बढ़ाया जा सकता है। इधर राजधानी में लॉकडाउन का असर दिखने लगा है। सड़कों और चौक-चौराहों में पसना सन्नाटा, सख्त बेरिकेटिंग और पुलिस की पहरेदारी से सड़कों पर बेवजह निकलने वालों पर लगाम कस गया है। वहीं दूसरी ओर सबसे ज्यादा बुरी स्थिाति रोज कमाने-खाने वाले तबके को हो रही है। लॉकडाउन के चलते इस वर्ग की हालत सबसे ज्यादा दयनीय हो चुकी है। रोजगार न मिलने के कारण इनके समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई है। पिछली बार की तरह सामाजिक संगठनों की सक्रियता भी कम हो गई है।