मुंबई। टाटा समूह के साथ अक्टूबर 2016 से कानूनी लड़ाई में उलझी शापूरजी पलोनजी समूह ने टाटा संस और उसके निदेशक मंडल के सदस्यों को नोटिस भेजा है। मिस्त्री परिवार के नियंत्रण वाली शापूरजी पलोनजी समूह ने यह नोटिस टाटा समूह के शेयरों को गिरवी रखकर धन जुटाने के मामले में टाटा समूह द्वारा अड़चन पैदा करने को लेकर भेजा है। टाटा संस में शापूरजी पलोनजी समूह की 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है। शापूरजी पलोनजी समूह ने टाटा संस के निदेशक मंडल के सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से और साथ ही सम्मिलित रूप से क्षतिपूर्ति की मांग की है। शापूरजी पलोनजी समूह के वकील देसाई एंड दीवानजी ने स्टर्लिंग इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन और साइरस इंवेस्टमेंट्स की ओर से नोटिस भेजा है। ये नोटिस 15 सितंबर को भेजे गये हैं। नोटिस में जवाब देने के लिये तीन दिन का समय दिया गया है जिसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी। टाटा संस के एक प्रवक्ता ने बताया कि ”हमारे पास इस पर टिप्पणी करने के लिये कुछ नहीं है। जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनमें टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और निदेशक मंडल के सदस्य फरीदा खंभात, वेणु श्रीनिवासन, अजय पीरामल, राल्फ स्पीथ, भास्कर भट, हरीश मनवानी और सौरभ अग्रवाल के साथ कंपनी सचिव सुप्रकाश मुखोपाध्याय शामिल हैं। टाटा समूह ने तीन सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक तत्काल याचिका दायर की थी, जिसमें शापूरजी पलोनजी समूह को टाटा संस के अपने शेयरों को गिरवी रखने से रोकने की मांग की गयी थी। इन शेयरों को गिरवी रखकर शापूरजी पलोनजी, ब्रुकफील्ड से 3,750 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही थी।