रायपुर/ सम्मान या अपमान ये दो ऐसे शब्द हैं जो हर इंसान की जिंदगी में बहुत ही मायने रखती हैं, परंतु जहाँ सम्मान मिलने की बात हो और वहाँ किसी को अप्रत्यक्ष रूप से अपमान मिले तो यह अपने आप में विचारणीय एवं शर्मनाक हैं।
अभी हाल ही में मुंगेली में कोरोना संकट काल में गरीबों, असहायों और मजदूरों के लिए प्रयास संस्था एक मसीहा के रूप में नजर आई थी, जिनके द्वारा राहगीरों, मजदूरों व गरीबों को मुफ्त में राशन एवं जरूरत की सामग्री तथा भोजन प्रदान किया जाता था, प्रयास संस्था के सदस्यों द्वारा दिन-रात मेहनत कर भूखों को भोजन कराया गया, जिसकी कई अधिकारियों एवं लोगों ने खूब प्रशंसा भी की। प्रयास संस्था के सेवा भावना देख संस्था को कई लोगों द्वारा सहायता राशि भी दान की गई, जिससे संस्था के लोगों का मनोबल बढ़ा और उन्होंने कोरोना संकट में प्रभावितों की बहुत मदद की। परंतु वर्तमान दृश्यों को देख ऐसा लगने लगा मानों जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियों और नेताओं को इस संस्था के नेक कार्य पसंद नही आया, शायद इसी कारण मुंगेलीवासियों के जुबां पर एक ही सवाल 2 हफ़्तों से सुना जा रहा था कि जब प्रयास संस्था इतना बढ़िया और पुण्य का काम की हैं जो हर किसी के बस की बात नही, तो फिर प्रयास संस्था का 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस समारोह में सम्मान क्यों नही किया गया, स्वतंत्रता दिवस समारोह में जिला प्रशासन द्वारा मुख्य अतिथि के हाथों कोरोना वारियर्स के रूप में बहुतों का सम्मान किया गया, ऐसे में प्रयास संस्था के सदस्यों को भी सम्मानित किया जाना था, उस समय जनता के बीच उठ रहे इस सवाल का जवाब किसी के पास नही था ? जिस पर सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया भी देखी गई। स्वतंत्रता दिवस समारोह के 15 दिनों बाद ऐसा क्या हुआ कि स्वयं कलेक्टर द्वारा प्रयास संस्था के सदस्यों को अपने AC रूम में बुलवा सम्मानित करते हुए प्रशस्ति पत्र प्रदान करना पड़ा ? कलेक्टर द्वारा प्रयास संस्था के सदस्यों को दिए जा रहे प्रशस्ति पत्र वाले फ़ोटो को देखने के बाद अन्य कई संस्थाओं के लोगों एवं मुंगेलीवासियों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस प्रकार कलेक्टर द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया गया उससे तो यही प्रतीत हो रहा कि ये प्रशस्ति पत्र सौपना केवल मात्र औपचारिक हैं क्योंकि कलेक्टर द्वारा केवल एक हाथ से प्रशस्ति पत्र दिया जा रहा, जबकि अक्सर देखा गया हैं कि जब किसी को सम्मानित करने तौर पे जब कुछ दिया जाता हैं तो दोनों हाथों से ससम्मान दिया जाता हैं, क्योंकि जानकारी के मुताबिक जिस सम्मान का प्रशस्ति पत्र 31 अगस्त को दिया गया वह स्वतंत्रता दिवस समारोह का हैं तो इसमें सबसे आश्यर्च की बात यह हैं कि प्रयास संस्था को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस समारोह में सम्मानित करना छोड़ 15 दिनों बाद उन्हें कलेक्टर द्वारा अपने कक्ष में क्यों सम्मानित किया गया ? क्या इन 15 दिनों में सम्मान देने किसी ने अनुशंसा की हैं ? या इस प्रयास संस्था से जिला प्रशासन को कुछ जरूरत पड़ने वाली हैं ? क्योंकि सूत्रों की माने तो मुंगेली जिला भी बाढ़ की चपेट में था तो जिला प्रशासन इस संस्था को अब सम्मान देकर उनसे बहुत कुछ अपेक्षायें रख रही होगी ? बहरहाल सच्चाई क्या है ये तो जिला प्रशासन ही जानें, फिलहाल प्रयास संस्था द्वारा कोरोना संकट काल में किये गए कार्य को लोगों ने खूब सराहा।