35 साल के लिए होगा कांट्रेक्ट
नई दिल्ली। रेलवे ने निजीकरण की ओर कदम बढ़ाते हुए यात्री ट्रेनों को प्रायवेट करने का निर्णय लेते हुए रूट का चयन किया है। इस रूट में बिलासपुर से नई दिल्ली और हावड़ा-मुम्बई वाया बिलासपुर रेलवे स्टेशन भी शामिल हैं, जहां से निजी ट्रेन होकर चलेगी।
जानकारी के अनुसार पिछले साल आईआरसीटीसी ने पहली निजी ट्रेन का परिचालन लखनऊ से दिल्ली के बीच तेज एक्सप्रेस के तौर पर शुरु किया था। रेलवे के अनुसार इस योजना के पीछे मकसद रेलवे में रखरखाव की लागत कम, कम ट्रांजिट टाइम के साथ नई तकनीक का विकास करने के अलावा नौकरियों के अवसर बढ़ाना, बेहतर सुरक्षा और विश्व स्तरीय यात्रा का यात्रियों को अनुभव कराना है।
आईआरसीटीसी द्वारा चलाई जा रही तेजस और वंदेभारत ट्रेन में टीटीई के स्थान पर अपने कर्मचारियों को रखा गया है। 109 जोड़ी रूट इंडियन रेलवे नेटवर्क पर 12 क्लस्टर्स में होंगे। हर ट्रेन में कम से कम 16 कोच होंगे। इन रूट्स पर चलने वाली सभी ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 160 किलो मीटर/ घंटा होगी। रेलवे के अनुसार इन मॉडर्न ट्रेनों में से अधिकांश को मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाया जाएगा।
फाइनेंसिंग, प्रोक्योरिंग, संचालन और ट्रेनों के रखरखाव की सारी जिम्मेदारी प्राइवेट एंटिटीज की होगी। इसके तहत रेलवे ने देश के रूट का चयन भी कर लिया है। इसमें एक रूट हावड़ा से मुम्बई के बीच है, जिसमें चलने वाली ट्रेन का परिचालन बिलासपुर, रायपुर और नागपुर स्टेशन से होगा। वहीं नई दिल्ली से राजधानी की तर्ज पर सभी जोन के साथ बिलासपुर जोन के लिए भी एक निजी ट्रेन का परिचालन किया जाएगा।
रेलवे ने कहा है कि वह 35 साल के लिए ये प्रॉजेक्ट प्राइवेट कंपिनयों को देगी। प्राइवेट पार्टी को इंडियन रेलवे को फिक्स्ड हौलेज चार्ज, खपत के हिसाब से एनर्जी चार्ज और पारदर्शी बिडिंग प्रक्रिया से तय किया गया रेवेन्यु का एक हिस्सा देना होगा। इन सभी ट्रेनों में ड्राइवर और गार्ड रेलवे के होंगे।