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कैट ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, त्यौहारी सीजन में व्यापार की मांगी अनुमति

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रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ आल इंड़िया ट्रेडर्स ने मुख्यमंत्री से प्रदेश में त्यौहारी सीजन के परिपेक्ष्य में सीमित समयावधि के लिए व्यापार की अनुमति का आव्हान किया है, जिससे आम नागरिकों को भी राहत मिल सके। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बताया कि कोरोना के वर्तमान विकट और विषम समय में आपने अपने कौशल और विद्वता से जिस प्रकार से कोरोना के संकट से राज्य को बचाया है उसकी जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। छत्तीसगढ़ के व्यापारियों ने भी आपके हर आदेश का पालन करते हुए एवं अनेक विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए राज्य के प्रत्येक नागरिक को जरूरत की हर वस्तु पहुंचाने का काम किया है जिसको आपने भी समय समय पर प्रशंसा करते हुए व्यापारियों को सदैव प्रेरित किया है ।
इस कोरोना काल में प्रदेश में पहला लाॅक डाउन 21 मार्च से लागू किया गया था और जिसकी अवधि बढ़ाकर 17 मई तक लाॅक डाउन किया गया था, इस विषम परिस्थिति में भी आपके द्वारा प्रदेश के व्यापार व्यवसाय के लिए अपनाये गये कदमों का ही परिणाम रहा कि प्रदेश में जी.एस.टी. का संग्रह माह जून में 22 प्रतिशत अधिक रहा है , जो पूरे हिन्दुस्तान मंे छत्तीसगढ़ की एक अलग पहचान बनाता है।
श्री पारवानी ने मुख्यमंत्री जी का ध्यान आर्कर्षित करते हुए बताया कि लॉक डाउन के बाद भी व्यापारियों पर भी आर्थिक बोझ रहा जिसमें स्थायी खर्चे जैसे वेतन के भुगतान, किराये का भुगतान, बैंक का ब्याज, बिजली-पानी के बिल का भुगतान, विभिन्न करों को भुगतान आदि प्रमुख है इन दायित्वों को शून्य आय के पश्चात भी व्यापारियों द्वारा पूरा वहन किया गया । जिसमें आर्थिक रूप से व्यापारियों की कमर टूट गयी । दिनांक 22 जून से 28 जून तक का जो लाॅक डाउन घोषित हुआ जिसे व्यापारियों ने स्वयं कलेक्टर द्वारा ली गई मीटिंग में इसका सर्मथन किया था, जिससे इस कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने मंे मदद हो सके और 29 जुलाई से 6 अगस्त तक का जो लाॅक डाउन घोषित हुआ है यह समय व्यापारिक दृष्टिाकोण से बहुत अहम है जिसमें त्यौहारी सीजन प्रारंभ हो रहा है जिसमें प्रमुख रूप से ईद, रक्षाबंधन, तीज जैसे प्रमुख त्यौहार हैं एैसे में आपसे अनुरोध है कि लाॅक डाउन के निर्णय पर पुर्नविचार करते हुए सारे व्यापार को दोपहर 3 बजे तक व्यापार करने की अनुमति दी जावे, जिससे महामारी नियंत्रण के साथ साथ आर्थिक गतिविधियां भी समानांतर रूप से चलती रहें और साथ ही आम नागरिकों भी राहत मिलें।