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गौठान ग्रामों के 50 एकड में नगद फसल हल्दी के उत्पादन से बदलेगी तस्वीर

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कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा गौठान और उसी गांव में कृषक समूहों के खेतों में बोआई पूरी,
बैकुण्ठपुर।
सुराजी गांव योजना के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि आधारित कार्यों को गौठान ग्रामों में विषेष महत्व के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी अनुक्रम में कोरिया जिले के विभिन्न गौठानों का संचालन करने वाली समितियों की आय बढ़ाने के लिए नगद फसल हल्दी की वृहद स्तर पर बोआई की गई है। इसके साथ ही गौठान ग्रामों में कृषक समूहों को भी इस महती परियोजना से जोड़ा गया है। बाड़ी विकास की संकल्पना को साकार करने के लिए कलेक्टर कोरिया श्री एस एन राठौर के मार्गदर्षन में महात्मा गांधी नरेगा के तहत एक करोड़ उन्नीस लाख रूपए की लागत से कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया देखरेख में यह कार्य कराए जा रहे हैं। इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी तूलिका प्रजापति ने बताया कि छत्तीसगढ ़शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरुवा, घुरुवा अऊ बाड़ी का चरणबद्ध विकास किया जा रहा है। इसमें बाड़ी विकास के अंतर्गत ग्राम गौठान समितियों के साथ आदिवासी कृषक परिवारों को परंपरागत फसलों के अलावा औषधीय गुण रखने वाली नगद फसलों के लिए तैयार किया गया है। उन्होने बताया कि यह कार्य कृषि विज्ञान केद्रं कोरिया के वैज्ञानिकों के देखरेख में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत पड़त भूमि विकास अंतर्गत स्वीकृत किया गया है।
कोरिया जिले मे बाड़ी विकास के लिए हल्दी उत्पादन के व्यापक विस्तार पर जानकारी देते हुए जिला पंचायत सीइओ ने बताया कि आदिवासी किसान भाइयों के खेतों में सामूहिक कृषि के अंतर्गत इस वर्ष हल्दी उत्पादन के कुल आठ कार्य महात्मा गांधी नरेगा के तहत जिले भर में स्वीकृत किए गए हैं। हल्दी उत्पादन के यह सभी कार्य जिले के अंतर्गत गौठान ग्राम सोरगा, जामपानी, कौड़ीमार, छरछा, रोझी, कुषहा डिहुली और अमहर में गौठान समितियों द्वारा चयनित गौठान के समीप रिक्त पड़ी वनाधिकार पत्रक या शासकीय भूमि पर किए गए हैं। इन कार्यो के साथ साथ ग्राम पंचायत उमझर, ग्राम पंचायत दुधनिया व बरबसपुर में भी कृषकों की सामूहिक बाड़ियों में कुल 50 एकड़ में हल्दी बुवाई कार्य कराया गया है। कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया की एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत वैज्ञानिकों के तकनीकी मार्गदर्षन से जिले में यह कार्य कराया गया है। इस कार्य में गौठान समितियों एवं सामूहिक बाड़ियों के कृषकों के लिए आय के संसाधन विकसित करने की तकनीकी कार्ययोजना बनाकर प्रादर्श प्रारूप स्थापित किये जा रहे है। जिला पंचायत सीइओ तूलिका प्रजापति ने बताया कि मसाला फसलों की खेती को जिला कोरिया में बढ़ाने हेतु हल्दी बीज और प्रकंद का उत्पादन मनरेगा के भूमि विकास कार्यक्रम के अंतर्गत चयनित 50 एकड़ पडत भूमि किया जा रहा है। चूँकि पडत भूमि की मृदा गुणवत्ता मसाला फसलों की खेती के अनुरूप होने के कारण हल्दी की अच्छा उत्पादन होगा। इसलिए हल्दी की उन्नत प्रजातियों को वैज्ञानिक पद्धति से जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह के दौरान लगाया गया है।
इस पूरे कार्य की देखरेख कर रहे कोरिया कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर एस राजपूत ने बताया कि उन्नत हल्दी बीज उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के विभिन्न स्थानों पर लगभग 50 एकड़ भूमि मे ंहल्दी की उन्नत किस्म रोमा, रशमी, एव ंबी.एस.आर-2 का रोपण किया गया है। हल्दी की किस्म बी.एस.आर-2 को तमिलनाडु स्थित एग्रीकल्चर रिसर्च स्टेशन इरोड से मंगाया गया है। इस किस्म कि खासियत यह है कि यह मध्यावधि वाली किस्म होने से 240-250 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म का औसत उत्पादन 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर है। श्री राजपूत ने बताया कि इस किस्म में कुरकुमिन 3.8 प्रतिशत पाया जाता है। हल्दी की किस्म रशमी को कोरापुट उड़ीसा के रिसर्च स्टेशन पोट्टांगी से प्राप्त किया गया है। यह किस्म सिंिचत एवं असिंिचत भूमि दोनो के लिए उपयुक्त है। इस किस्म में कुरकुमिन 6.2 प्रतिशत पाया जाता है। यह किस्म 30-35 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। इनके अतिरिक्त एक अन्य किस्म रोमा, उड़ीसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई है। यह किस्म 250 दिन में तैयार होगी और इस किस्म मे ंकुरकुमिन 6.3 प्रतिशत पाया जाता है। वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री राजपूत के अनुसार 50 एकड़ क्षेत्रफल में लगभग 360 से 400 टन तक हल्दी बीज और प्रकंद प्राप्त होने का अनुमान है। इससे प्राप्त उपज का दो तिहाई हिस्सा बीज के रूप में विक्रय कर 60 से 70 लाख रूपए की आमदनी हो सकेगी। साथ ही अगले वर्ष 140 से 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे अन्य गौठान समितियों में भी इसे रोपित कर व्यापक स्तर पर हल्दी उत्पादन किया जा सकेगा। इससे आने वाले समय में क्षेत्र में प्रस्संकरण केंद्र लगाया जा सकेगा और हल्दी पावडर कृषक समूह द्वारा बनाया जाएगा। विदित हो कि आज हल्दी का ष्षुद्ध पाउडर 200 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से जिले की विभिन्न बिहान समितियों दवारा बेचा जा रहा है। इससे आने वाले समय मे गौठान समितियों से जुड़ी महिलाओ और आदिवासी कृषकों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्राप्त होगा।