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पर्यटकों से गुलजार रहने वाला चित्रकोट जलप्रपात वीरान हुआ

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कोरोना की वजह से बस्तर जिले के सभी पर्यटन स्थल बंद हैं इसे खोलने के आदेश 04 महीनों के बाद भी नही मिले
जगदलपुर।
बस्तर में मानसून की दस्तक के साथ ही चित्रकोट जलप्रपात अपने पूरे शबाब पर है, चित्रकोट जलप्रपात की खूबसूरती पर भी कोरोना की काली परछाई पड़ गई है। इन दिनों यहां सैलानियों से गुलजार रहने वाला चित्रकोट सूना पड़ा हुआ है। कोरोना महामारी की वजह से बस्तर जिले के सभी पर्यटन स्थलों को शासन ने बंद करने का आदेश दिया है। जिसकी वजह से मानसून में हजारों पर्यटकों से गुलजार रहने वाला चित्रकोट जलप्रपात इस समय वीरान है।
बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात मिनी नियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है। मानसून में चित्रकोट जलप्रपात अपने पूरे शबाब में खूबसूरती की छटा बिखेरता हुए लगभग 95 फीट की ऊंचाई से गिरता जलप्रपात आकर्षण का केंद्र है, लेकिन बस्तर के इतिहास में यह पहला मौका है जब मानसून काल में इस खूबसूरत जलप्रपात को निहारने आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। बरसात के मौसम में हजारों देशी-विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला मिनी नियाग्रा पिछले 04 महीनों से खाली पड़ा है। जिससे यहां के सैकड़ों व्यवसाईर्यों के रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है। पिछले 04 महीनों से शासन ने उनके सभी दुकानों को बंद करने के आदेश दे दिए है।
चित्रकोट जलप्रपात के आस-पास में छोटी दुकान चलाने वाले एक दुकानदार का कहना है कि शासन ने 04 महीने से उनकी दुकान बंद करवा देने से आय का जरिया नहीं होने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पर्यटकों पर ही आश्रित फुटकर व्यापारियों की मांग है कि जल्द ही पर्यटन स्थलों पर लगे प्रतिबंध को शासन हटाए। चित्रकोट जलप्रपात के परिसर में ही मौजूद शिव मंदिर के पुजारी का भी कहना है कि पर्यटकों के नहीं आने के चलते मंदिर में दान दक्षिणा नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें अपने परिवार को पालने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि हर साल बस्तर में मानसून के दस्तक के साथ ही हजारों की संख्या में पर्यटक चित्रकोट, तीरथगढ़ और अन्य पर्यटन स्थलों का खूबसूरत नजारा देखने पहुंचते हैं। लेकिन लॉकडाउन के बाद से अब तक एक भी पर्यटक यहां नहीं पहुंच सका है। पर्यटन विभाग को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं चित्रकोट में लाखों रुपए की लागत से बने सरकारी और निजी कॉटेज भी पर्यटक के अभाव में सूने पड़े हैं और पर्यटन स्थलों में भी वीरानी छाई हुई है।
पर्यटन व्यवसाय से जुड़े आवेश अली ने बताया कि कोरोना से सबसे अधिक नुकसान पर्यटन व्यवसाय को हुआ है, जिसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि पर्यटन से जुड़े सरकारी और निजी कॉटेज, होटल, रेल्वे, बस, टेक्सी सहित पर्यटन स्थलों पर आश्रित हजारों व्यवसाईयों की आजिविका पर पड़ा है। जिसकी सुध लेने वाला कोई नही है।