बच्चों में जिद करने की आदत बहुत होती है। कोई खिलौना देखा नहीं कि उसे खरीदने के लिए जिद करने लगते हैं। अपनी पसंद की चीज पाने के लिए बीच सड़क पर ही रोने, चिल्लाने और गुस्सा करने लगता है। ऐसे में सबकी निगाहें बच्चों के पैरेंट्स परवरिश के ऊपर उठने लगती हैं।
बच्चों में जिद्दीपन की वजह से पैरेंट्स को काफी दिक्कत हो सकती है लेकिन शांति और धैर्य के साथ आप अपने बच्चे की इस आदत को कंट्रोल कर सकते हैं। यदि आपका बच्चा अपनी बात और जिद को लेकर अटल रहता है तो आपको उसे समझाने और सही तरह से हैंडल करने के लिए निम्न तरीके अपनाने चाहिए।
कैसे होते हैं जिद्दी बच्चे
जिन बच्चों में जिद्दीपन की आदत होती है वो बार-बार हर चीज के बारे में सवाल पूछते हैं, ये बहुत बुद्धिमान और क्रिएटिव होते हैं। इन्हें चाहिए होता है कि सब इनकी बात सुनें और इन पर ध्यान दें, ये बहुत ज्यादा आत्मनिर्भर होते हैं। ये बार-बार नखरे दिखा सकते हैं और इनका लीड करने का मन करता है और ये दूसरों पर धौंस जमाने की कोशिश करते हैं।
बहस करने से बचें
जिद्दी बच्चे बहस करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं इसलिए आपको उन्हें ये मौका नहीं देना है। इसकी बजाय अपने बच्चे की बात सुनें। जब आप उसकी बात को सुनने लगेंगे तो वो भी आपकी बात पर ध्यान देने की कोशिश करने लगेगा।
चिल्लाएं नहीं
माता-पिता के लिए ये बात बहुत जरूरी है कि उन्हें अपने बच्चों पर चिल्लाना नहीं है और अगर बच्चे जिद्दी हों तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। आपके शांत रहने पर बच्चे भी ज्यादा शोर-शराबा नहीं करेंगे और आप उन्हें सही और गलत के बीच में फर्क बता पाएंगे।
नियम बनाकर चलें
जिद्दी बच्चों के साथ डील करने के लिए आपको कुछ नियम बनाकर रखने चाहिए। उन्हें समझाएं कि नियम तोडऩे पर उन्हें क्या नुकसान होगा। अगर आप लगातार बच्चे को अनुशासन में रखते हैं तो इससे उसके बच्चे के जिद्दीपन को भी कम करने में मदद मिलेगी।
मन की बात समझें
कई बार बच्चे पैरेंट्स का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए भी जिद करते हैं। हो सकता है कि आपके बच्चे को कोई बात परेशान कर रही हो और उसे समझ नहीं आ रहा हो कि उसे आपसे किस तरह बात करनी है। यहां पर आपको अपने बच्चों की हरकतों को देखकर उसे समझना चाहिए। अपने बच्चे से शांत बैठकर बात करें।
ऐसा नहीं है कि बच्चों का जिद्दी होना गलत बात है लेकिन हद से ज्यादा और बात-बात पर जिद करना गलत है। इसका बुरा असर आगे चलकर बच्चे के भविष्य पर भी पड़ेगा और उसके व्यवहार में ही ये आदत शामिल हो जाएगी।
इससे बचने के लिए मां-बाप को समय रहते ही इस आदत को सुधारने की कोशिश कर लेनी चाहिए। सही समय पर सही सीख मिलने से आपके बच्चे का भविष्य संवर सकता है और वो एक अच्छा इंसान बन सकता है।