Home छत्तीसगढ़ बोधघाट परियोजना पर लगी अंतिम मुहर, प्रशासनिक सक्रियता बढ़ी

बोधघाट परियोजना पर लगी अंतिम मुहर, प्रशासनिक सक्रियता बढ़ी

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प्रभावित ग्रामों के सरपंच-पंच व ग्रामीणों से प्रशासन ने चर्चा शुरू किया
नक्सलियों ने बोधघाट परियोजना का किया है मुखर विरोध
दंतेवाड़ा।
जिले के बारसूर से 08 किमी दूर यह परियोजना निर्मित होगी। जिसमें लगभग 15 ग्राम डुबान प्रभावित क्षेत्र में आने का प्राथमिक अनुमान हैं। जिसे लेकर जिला प्रशासन की तरफ से संयुक्त कलेक्टर अभिषेक अग्रवाल, एसडीएम लिंगराज सिदार, एसडीओपी, तहसीलदार ने गांव के सरपंच-पंच तथा ग्रामीणों से चर्चा कर उनकी शंकाओं का समाधान करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। जिसे लेकर नक्सलियों ने पहले ही अपना विरोध दर्ज करते हुए विज्ञप्ति जारी कर दिया है। इसके साथ ही मेघा पाटकर ने भी अपनी मुहीम शुरू कर दिया है। इस अंर्तविरोधों के साथ ही कल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे आगे बढ़ाने के लिए जनप्रतिनिधियों की बैठक में अंतिम मुहर लगा दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रशासन का कहना है कि नवीन भू-अर्जन अधिनियम के तहत मुआवजा विस्थापनों को शीघ्र अधिकतम लाभ दिलाया जाएगा। प्रशासनिक स्तर में विगत दिनों बोधघाट परियोजना का निर्माण होना चाहिए या नहीं, इस संबंध में जनप्रतिनिधि सरपंचों द्वारा मांग पत्र रखने के लिए बैठक की गई थी। जैसा कि प्रशासनिक कारोबार जैसा शासन चाहता है, वैसा ही प्रर्दशित करते हुए यह बताया गया कि जनप्रतिनिधि सरपंचों से चर्चा करने पर स्पष्ट हो गया है कि वे शासन के साथ हैं। उन्हें सर्वेक्षण तथा निर्माण में कोई आपत्ति नहीं है ।
उल्लेखनिय है कि बस्तर और बोधघाट परियोजना एक बार फिर चर्चा में है। आशंका जताई जा रही है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर 40 साल पुराना माहौल फिर निर्मित हो सकता है। तकरीबन चार दशकों से बोधघाट परियोजना को लेकर बस्तर में सकारात्मक-नकारात्मक दोनों तरह की खबरें सुनाई देती रही हैं। इंद्रावती नदी पर बनने वाली बोधघाट परियोजना को वर्षों इंतजार करने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं जल संसाधन मंत्री के प्रयासों से केंद्र ने स्वीकृति प्रदान कर दिया है। जिसके सर्वेक्षण के लिए 42 करोड़ रूपये शासन ने स्वीकृत भी कर दिया है, इसके बाद सर्वेक्षण के साथ ही विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का कार्य शुरू हो जायेगा। यह सुनिश्चित है कि इस परियोजना से सिंचाई, बिजली उत्पादन होने लगेगा जिसका सीधा लाभ छत्तीसगढ़ प्रदेश को होगा। लेकिन यह इतना आसान भी नही है, जैसे-जैसे यह परियोजना आगे बढ़ेगी कई अंर्तविरोध का सामना भी करना पड़ेगा।