जब हम ऑनलाइन काम करते हैं तो लाख कोशिश के बाद भी हम पलके कम झपकते हैं। पलकें कम झपकाने (आई ब्लिंकिंग) की वजह से हमारी आंखों की ऑइल ग्लैंड काम करना बंद कर देती हैं। ये ग्लैंड्स या महीन धमनियां हमारी आखों में नैचरली गीलापन बनाए रखने का काम करती हैं। लेकिन पलकें ना झपके के चलते हमारी आंखों में ड्राईनेस बढ़ जाती है।
आंखों में आ जाता है रुखापन
-आंखों में जब ड्राईनेस की समस्या होती है तो व्यक्ति को बार-बार ऐसा लगता है कि आंख में कुछ गिर गया है, जबकि ऐसा होता नहीं है। आंख में किरकिराहट की यह दिक्कत ड्राईनेस की वजह से होती है। इस स्थिति में आंखों तो तुरंत मिनरल वॉटर से धोना चाहिए। आंखों को रगडऩे से बचें नहीं तो आंखों को अधिक नुकसान हो सकता है।
इन कारणों से भी बढ़ती है ड्राईनेस
-स्क्रीन पर अधिक वक्त बिताने के साथ ही एसी कमरों में घंटों बैठना या सर्दी के मौसम में हीटर में अधिक बैठना भी आंखों में बढ़ती ड्राईनेस की एक वजह होता है। स्क्रीन पर अधिक समय देना, पलकें कम झपकना और आर्टिफिशल एटमॉसफेयर में रहने के कारण हमारी आंखों में बननेवाले आंसू जल्दी सूख जाते हैं और आंखे ड्राई होने लगती हैं।
-दूसरी कई ऐसी वजहें होती हैं, जिनसे आंखों में ड्राईनेस होती है। जैसे, कोई एलर्जी, किसी दवाई का साइडइफेक्ट, किसी तरह के इंफेक्शन की चपेट में आना या बढ़ती उम्र के कारण होनेवाली समस्याएं। जैसे, महिलाओं में मेनॉपॉज और पुरुषों में हॉर्मोनल इंबैलंस।
-आंखों में ड्राईनेस के कारण किरकिराहट के साथ ही बार-बार ऐसा अहसास हो सकता है कि आंख में मिट्टी गिर गई है, आंखों में भारीपन हो सकता है, यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे और आप लापरवाही बरतें तो आंखों में एलर्जी भी हो सकती है।
आंखों को हेल्दी रखने के घरेलू तरीके
-अगर आपका काम ही ऐसा कि लंबा वक्त स्क्रीन पर बिताना पड़ता है तो पलकें झपकने पर ध्यान दें। हर 45 मिनट बाद स्क्रीन से कुछ देर का ब्रेक लें। लुब्रिकेंटिंग आई ड्रॉप का यूज करें, गर्म पानी से आंखों की सिकाई करें, आंखों की मसाज करें।
-चाय और कॉफी पीने के दौरान गर्म कप से आपकी उंगलियां गर्म हो जाती हैं, उन गर्म उंगलियों से आंखों को हल्का प्रेस करें मसाज करें।
-आंखों की देखभाल के लिए जरूरी है कि आप आंखों को मिनरल वॉटर से धोएं, टंकी में सप्लाई होनेवाले पानी से नहीं। खासतौर पर उस स्थिति में जब आप अपने एरिया में सप्लाई होनेवाली पानी की क्वालिटी को लेकर श्योर ना हों। कई बार लो क्वालिटी वॉटर भी आंखों में दिक्कत की वजह बन जाता है।
-हर दिन और लगातार कई घंटें स्क्रीन पर काम करने वाले युवाओं को अपनी आंखों की सेहत और सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए रुटीन आई चेकअप कराना चाहिए। अगर आपको पहले से डायबीटीज है या इसकी हिस्ट्री है तो ऐसे में और अधिक सतर्क रहना चाहिए।
-एक बात हमेशा याद रखें कि एलर्जी ट्रीटेबल होती है क्यॉरेबल नहीं। यानी जब तक आप इससे बचाव करते रहेंगे, बचे रहेंगे। जरा-सी असावधानी बरतेंगे तो फिर से समस्या हो सकती है। किसी भी परेशानी में डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई ना खरीदें।
-आंखों की देखभाल के लिए पेशंट्स को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे, अगर आप कॉन्टेक्ट लैंस का यूज करते हैं तो कभी भी इन्हें लगाकर ना सोएं।
- कॉन्टेक्ट लैंस का सलूशन रोज बदलें। नहीं तो यह भी आपकी परेशानी की वजह बन सकता है।
-परिवार में अगर किसी की आंखों का इलाज चल रहा है तो आप भी उन्हीं की दवाइयां इस्तेमाल करना ना शुरू करें। जब तक कि डॉक्टर आपको सजेस्ट ना करे।
-अगर डॉक्टर ने आपको कोई दवाई एक आंख में डालने के लिए बोला है तो सिर्फ उसी आंख में डालें, दोनों आंखों में नहीं। ऐसे केस अक्सर देखने को मिलते हैं।
-परिवार में एक-दूसरे की दवाइयों का उपयोग ना करें। यदि आंखों में एक जैसी समस्या हो तब भी बिना डॉक्टर की सलाह के किसी अन्य व्यक्ति की आई ड्रॉप का उपयोग ना करें।