क्या आप सोच भी सकते हैं कि आपको बार-बार हो रही एलर्जी, पिंपल्स, डैंड्रफ या सांस संबंधी बीमारियों की वजह आपका तकिया हो सकता है? हममें से ज्यादातर लोग अपने एक ही तकिये को कई साल तक उपयोग में लाते रहते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। तकिए की भी एक एक्सपायरी सीमा होती है, जिसके बाद हर हाल में इसे बदल लेना चाहिए…
सिर्फ पतला होने की बात नहीं
-आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर हमारा तकिया कैसे खराब हो जाता है? हम यहां सिर्फ तकिए के पतले होने की बात नहीं कर रहे हैं।
-दरअसल, हम जब सिर में ऑइलिंग करके सोते हैं तो हमारे बालों में लगा ऑइल हमारा ताकिया भी सोखता है। इससे सिर्फ पिलो कवर गंदा नहीं होता बल्कि तेल की जो चिकनाई तकिए के अंदर भरे फाइवर द्वारा सोख ली जाती है, लगातार यूज होने के कारण एक समय बाद उसमें माइक्रोब्स पनपने लगते हैं।
-जब हम तकिए पर सोते हैं तो ये माइक्रोब्स सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और जब भी हमारे शरीर की इम्युनिटी वीक होती है, ये हमें बीमार बना देते हैं।
बीमारी में तकिए का उपयोग
-फ्लू और वायरल जैसी बीमारियों में भी हम अपना पिलो उपयोग में लाते हैं। इस दौरान हमारी सांस, नाक से आनेवाले पानी या सोते समय मुंह से रिसनेवाली लार भी हमारे तकिए द्वारा सोख ली जाती है।
-इसलिए आपने ध्यान दिया होगा कि घर में कोई बीमार होने के बाद ठीक होता हो तो दादी और मम्मी उनका गद्दा और तकिया धूप में सुखाती हैं। ऐसा इसीलिए किया जाता है ताकि उनमें पहुचे माइक्रोब्स धूप की गर्मी से मर जाएं।
-जिन्हें बार-बार कोल्ड, फीवर, कफ, पिंपल या चेहरे पर एलर्जी की समस्या हो रही हो, उन्हें अपना तकिया बदल लेना चाहिए। अगर आपकी ये समस्याएं अगर सेहत से जुड़ी लापरवाही, खान-पान की अनदेखी के कारण नहीं हुई हैं तो अलग बात है।
चेहरे पर बार-बार पिंपल आना
-चेहरे पर बार-बार पिंपल आने की वजह आपका तकिया हो सकता है। क्योंकि जब तकिए को लंबे समय तक उपयोग में लाया जाता है तो उसकी शेप बदल जाती है। आमतौर पर हम तकिए के बीच में सिर रखकर सोते हैं। ऐसे में तकिए के अंदर भरे फाइबर की स्थिति बदल जाती है।
-जब सिर की जगह से तकिया तब जाता है तो हमारे गाल की त्वचा को सांस लेने में दिक्कत होती है। साथ ही पुराने तकिए में पनप रहे बैक्टीरिया हमारी त्वचा पर अटैक कर देते हैं। इस कारण पिंपल्स बढ़ते रहते हैं।
तकिया बदलने का वक्त
-माइक्रोब्स से संबंधित हर तरह की समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि आप हर सप्ताह अपने तकिए का कवर बदलें। अगर फीवर, कफ या कोल्ड से ठीक हुए हैं तो तुरंत तकिए का कवर बदलें और उसे धूप में सुखाएं।
-अगर आप ऊपर बताई गई किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं कर रहे हैं तब भी आपको हर 10 से 12 महीने में अपना तकिया बदल लेना चाहिए। नहीं तो आपको बार-बार गर्दन अकडऩे की समस्या हो सकती है। या गर्दन और कंधे का दर्द सता सकता है।