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मुंगेली जिला प्रशासन की लापरवाही आई सामने…मुंगेली पहुँचे 4 दर्जन मजदूर.. साथ में महिला और रोते-बिलखते बच्चे दिखे…घंटो चौक में भूखे-प्यासे बैठे रहे…आंकड़े बताने वाली संस्थाएं भी गायब..

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मुंगेली/ कोरोना वायरस के डर के कारण अधिकारीगण भी अपने कर्तव्य, कार्य से बचते नजर आ रहे, शायद ऐसा लगता हैं मानो उन्हें कोरोना का डर अन्य लोगों से ज्यादा बना हुआ है । प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंगेली में जिला प्रशासन ने आवश्यकतानुसार पर्याप्त क्वारंटाईन सेंटर बना दिये हैं, परंतु उनमें कितने मजदूर आ रहे, कितने मजदूर कब तक रुक रहे, उनके लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई, शायद इसका जवाब जनता जानना चाहेगी क्योंकि मुंगेलीवासियों की माने तो जब जिला प्रशासन ने क्वारंटाईन सेंटर बना दिया गया है तो उसके बाद भी मुंगेली शहर के भीतर मजदूर लोग अपने परिवार वालों के साथ दर-दर क्यों भटक रहे हैं ? परंतु उनकी सुध लेने वाला कोई नही, आज दाऊपारा में लगभग 45-50 मजदूर जिनमें महिला और छोटे-छोटे रोते हुए देखा गया, वहाँ उपस्थित मुंगेलीवासियों ने उन मजदूरों से पूछताछ किया गया, देखते ही देखते वहाँ कुछ पत्रकार पहुँच गए, दाऊपारा पहुँचे मजदूरों ने पत्रकारों और मुंगेलीवासियों को बताया कि वे महाराष्ट्र से आ रहे है वहाँ से बस से प्रदेश के बॉर्डर तक आये और वहाँ से पैदल पंडरिया रोड से मुंगेली पहुँचे, मुंगेली जिला पहुँचने पर भी उनकी कोई जांच नही की गई, और न ही कहीं उन्हें रुकवाया गया, और अभी तक हमें खाना और पानी नही मिला, गोद में बच्चे बहुत रो रहे थे, जिसे देख वहाँ भीड़ लगी, परंतु काफी देर हो जाने के बाद भी रोजाना आंकड़े बताने वाली संस्था भी गायब दिखी, मुंगेलीवासियों ने यह प्रश्न उठाया कि क्वारंटाईन सेंटर होने के बाद भी मजदूरों को शहर अंदर आसानी से कैसे प्रवेश किया जा रहा हैं और बार्डर में उनकी जांच क्यों नही की जा रही, बिना जांच किये शहर के बीच मे पहुँचे मजदूरों से लोगों में दहशत बना हुआ है वही कई जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जिला प्रशासन को जितना सक्रिय होने चाहिए नही हैं, अधिकारियों द्वारा सतत निगरानी करने की आवश्यकता हैं, समाचार लिखे जाने तक मजदूर, महिला और बच्चे भूखे-प्यासे उदास रहे और शासन-प्रशासन पर अपनी नाराजगी जता रहे थे। वहाँ उपस्थित लोगों ने बताया कि और बहुत मजदूर थे जो अपने अपने व्यवस्था कर चले गए, कई लोग पैदल चले गए, फिर भी अभी बड़ी संख्या में मजदूर वहाँ उपस्थित थे।