नई दिल्ली. कोरोनावायरस के संकट से देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में हैं. नौकरी पेशा लोग घरों में रहने को मजबूर हैं. लॉक डाउन खुलने के बाद भी अर्थव्यवस्था किस हाल में होगी किसी को पता नहीं है. देश की अर्थव्यवस्था का असर सीधे रोजगार क्षेत्र पर पड़ता है.
अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होगी देश में उतने ही अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इस अनिश्चितता के माहौल में भविष्य मे बेरोजगारी संकट और गंभीर होने वाला है. इस स्थिति में आप अपनी क्षमता के अनुसार छोटा-मोटा व्यवसाय करके अपनी आजीविका चला सकते हैं.
कुछ ऐसी ही कहानी है एक ऐसे सफल किसान की जिसने दिल्ली की नौकरी छोड़कर पहाड़ों में खेती करना शुरू कर दिया. इस किसान ने खेती में मेहनत करके एक मिसाल कायम की है. यह कहानी अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में रहने वाले गोपाल उपरेती की है जोकि जैविक सेब की बागबानी करते हैं.
इन्होंने अपने बुद्धि कौशल का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसी मिसाल कायम की है जो कि हर किसी के लिए अनुकरणीय हैं. इस किसान ने 6 फीट 1 इंच लंबा धनिये की फसल उगा कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज किया है.
“भारत में धनिया की सबसे लंबी फसल”
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर किसान धनिया की अच्छी से अच्छी किस्म की बुवाई करता है तो उसे लगभग 4 फीट तक लंबी फसल मिल जाती है. मगर गोपाल उप्रेती के फार्म में उगाई गई धनिया की पौध 6 फीट 1 इंच लंबी है. इसमे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये सब जैविक खेती द्वारा संभव हो पाया है. यह बात दीगर है कि अब तक धनिया की 5 फुट 11 इंच की लंबाई रिकॉर्ड में दर्ज है.
“साल में 1 करोड का मुनाफा”
देश में किसान ऑर्गेनिक एप्पल फार्म में बागवानी को लेकर कई नए प्रयोग कर रहे हैं. इस किसान को दिल्ली की नौकरी छोड़कर सेब के बगीचे में सालाना 1 करोड रुपए से ज्यादा का मुनाफा हो जाता है.
“जैविक खेती से बदली किस्मत”
किसान भाई जैविक खेती करके अपनी किस्मत बना सकते हैं. गोपाल उपरेती का मानना है कि अभी भी देश में खेती करने वाला किसान गरीब पिछड़ा और समस्याओं से घिरा हुआ है. अगर खेती को उद्योग की तर्ज पर विकसित किया जाए तो किसान अच्छी गुणवत्ता का उत्पाद तैयार करके सीधा ग्राहक को बेच सकता है. इस तरह खेती को बेहतर बनाया जा सकता है जिससे किसानों की किस्मत बदल सकती है.
“जैविक खेती की शुरुआत”
इस किसान ने साल 2016 से सेब की बागवानी करना शुरू किया था. वह अपने गांव में ही हाई डेंसिटी सेब की बागवानी कर रहे हैं. इसके साथ ही एवोकैडो आडू खुबानी की जैविक खेती करते हैं. इतना ही नहीं वह जैविक लहसुन मटर गोभी और मेथी भी उगाते है.
“खेती में लागत भी कम”
जैविक खेती में रसायनिक खेती की अपेक्षाकृत लागत भी कम आती है. इससे किसान का प्रत्येक फसल पर लागत खर्च कम आता है. फसल उत्पाद को बेचने पर जो मूल्य प्राप्त होता है उसमें किसान को शुद्ध लाभ अधिक प्राप्त होता है. देश में ऐसे बहुत से किसान हैं जिन्होंने जैविक खेती को अपनाकर अपनी किस्मत बदली है साथ ही दूसरे किसानों के लिए उनका उदाहरण अनुकरणीय है.