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अब एक ही दिन में मानसरोवर के दर्शन कर लौट सकेंगे यात्री

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बीआरओ ने मानसरोवर रूट को चीनी सीमा से जोड़ा
लिपुलेख सीमा तक पहाड़ काटने का काम हुआ पूरा
अगले साल पीएम के साथ कैलास मानसरोवर यात्रा करने की है गडकरी की योजना
नई दिल्ली।
कैलाश मानसरोवर यात्रा में कभी 24 दिन लगते थे। अब तीर्थयात्री महज एक दिन में ही मानसरोवर का दर्शन कर लौट सकेंगे। अगले साल से तीर्थ यात्री न सिर्फ 90 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करने से बचेंगे, बल्कि सडक़ मार्ग से वाहनों के जरिए सीधे मानसरोवर का दर्शन कर सकेंगे। दरअसल शुक्रवार को सीमा सडक़ संगठन (बीआरओ) ने लिपुलेख दर्रा को सीधे चीन से जोडऩे के लिए पहाड़ों को काटने का काम पूरा कर लिया है। उत्तराखंड के घटियाबाग से लिपुलेख तक पहाड़ों की कटाई के बाद अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हर हाल में अगली मानसरोवर यात्रा पूरा होने से पूर्व चार लेन की आधुनिक सडक़ बनाने का लक्ष्य हर हाल में पूरा करने का निर्देश दिया है। उनकी योजना अगले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस रूट से मानसरोवर का दर्शन करने की है।
सडक़-परिवहन मंत्रालय के एक वरिष्ठï अधिकारी के मुताबिक चीनी सीमा के पास लिपुलेख दर्रा से पहले करीब चार किलोमीटर तक ऊंचे-ऊंचे और बेहद मजबूत पहाड़ थे। इन पहाड़ोंं को तेजी से काटने के लिए दो वर्ष पूर्व ऑस्ट्रेलिया से पत्थर काटने की अत्याधुनिक मशीनें आयात की गई। इसके बाद अब सतह से 17060 फिट ऊंचाई पर स्थिति लिपुलेख दर्रे को सडक़ मार्ग से मानसरोवर से जोडऩे का सबसे अहम लक्ष्य हासिल कर लिया गया। उक्त अधिकारी के मुताबिक तेजी से काम पूरा करने के लिए वायुसेना की एमआई-17 और एमआई 26 हेलीकॉप्टरों का भी लगातार इस्तेमाल किया गया।
उक्त अधिकारी के मुताबिक घटियाबाग से लिपुलेख तक चार लेन की सडक़ बनाने की योजना कुछ वर्ष पहले तैयार कर ली गई थी। इसमें ज्यादातर हिस्से में सडक़ निर्माण का काम पूरा हो चुका है। लिपुलेख दर्रे के बाद मानसरोवर यात्रा के लिए चीनी सीमा में 72 किलोमीटर का सफर करना होगा है। सीमा के उस पार चीन ने चार लेन की अत्याधुनिक सडक़ पहले ही तैयार कर ली है। इसलिए मंत्रालय की योजना चीन की तरह ही घटियाबाग से लिपुलेख तक करीब 76 किलोमीटर लंबी चार लेने की अत्याधुनक सडक़ बनाने की है।
पीएम के साथ गडकरी की दर्शन की योजना
केंद्रीय मंत्री गडकरी की योजना अगले साल पीएम के साथ इसी रूट से कैलाश मानसरोवर का दर्शन करने की है। यही कारण है कि उन्होंने इस परियोजना से जुड़े सभी पक्षोंं को अगले साल इस यात्रा के शुरू होने से एक महीने पहले हर हाल में चार लेन की अत्याधुनिक सडक़ तैयार करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि मानसरोवर यात्रा का दूसरा रूट सिक्किम में नाथुला दर्रा है। इस रूट से दर्शन करने में 21 दिन समय लगता था। लिपुलेख दर्रे से यात्रा का खर्च करीब 1.60 लाख तो नाथुला दर्रे से दो लाख रुपये था।
बदलेगी उत्तराखंड की किस्मत
लिपुलेख दर्रा से मानसरोवर यात्रा का आसान रूट बनने से उत्तराखंड की किस्मत चमकेगी। इस यात्रा का ऋषिकेश-अल्मोड़ा-धारचूला-लिपुलेख रूट उन इलाकों से है जो राज्य के सबसे पिछड़े इलाकों में गिने जाते हैं। जाहिर तौर पर सुगम यात्रा के कारण न सिर्फ यात्रियों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि यह पूरा रूट ही पर्यटन की दृष्टिï से देश भर में प्रसिद्घ हो जाएगा।
कोरोना से जंग के बीच हमने बेहद पवित्र लक्ष्य हासिल किया है। बीआरओ ने कैलाश मानसरोवर रूट को चीनी सीमा से जोडऩे का ऐतिहासिक काम पूरा कर लिया है। अब तीर्थयात्रियों को मानसरोवर का दर्शन करने के लिए 90 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा नहीं करनी होगी। तीर्थयात्री सीधे वाहन से ही यात्रा का आनंद ले सकेंगे।
नितिन गडकरी, सडक़-परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री