वॉशिंग मशीन में गिरे डेढ़ साल के एक बच्चे को चिकित्सकों के अथक प्रयास के बाद आखिरकार बचा लिया गया। बताया जा रहा है कि वॉशिंग मशीन में शॉप वाटर में गिरा यह बच्चा करीब 15 मिनट तक मशीन के अंदर ही रहा था। हादसे के बाद बच्चा करीब सात दिनों तक कोमा में रहा और इस दौरान उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। वसंत कुंज स्थित Fortis Hospital के चिकित्सकों का कहना है कि 12 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद बच्चे को सही-सलामत उसके घर भेज दिया गया है। इलाज के बाद से बच्चा सामान्य व्यवहार कर रहा है और चलने-फिरने में भी वो सामान्य है।
Ofneonatology और Paediatrics के निदेशक डॉक्टर राहुल नागपाल ने बताया है कि चिकित्सकों के मुताबिक, जब मासूम बच्चे को अस्पताल लाया गया था तब वो बेसुध था। वो रेस्पॉन्स नहीं कर रहा था। उसे कोल्ड और सांस लेने की तकलीफ थी। उसका रंग नीला पड़ गया था। उसकी हार्ट रेट धीमी थी और बीपी तथा पल्स रेट नहीं थे।
बच्चे की मां ने कहा उनका बेटा टॉप लोडिंग वॉशिंग मशीन के अंदर पड़े शॉप वाटर में करीब 15 मिनट तक रहा था। मशीन की लीड खुली हुई थी। महिला कमरे से बाहर गई थीं और जब वो वापस लौटीं तब उनका बेटा कमरे में नहीं था। आशंका है कि बच्चा एक कुर्सी पर चढ़ गया था औऱ फिर वॉशिंग मशीन में गिर गया था। डॉक्टर नागपाल ने कहा कि हो सकता है कि 15 मिनट से थोड़ा कम समय तक वो वॉशिंग मशीन में रहा हो वरना वो शायद जिंदा नहीं रहता। हालांकि, इसके बावजूद बच्चे का जिंदा बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं।
विभाग के कंसल्टेन्ट डॉक्टर हिमांशी जोशी ने कहा, अस्पताल में बच्चे को बेहद ही नाजुक हालत में लाया गया था। शॉप वाटर की वजह से उसने शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उसे केमिकल निमोनिया हो गया था। उसके फेफड़ों में समस्या आ गई थी और सांस लेने की तकलीफ थी। केमिकल की वजह से फेफड़े चॉक हो गए थे। उसे बैक्टेरियल निमोनिया भी हुआ था। बाद में उसे आंत का इन्फेक्शन भी हुआ था।
बच्चे को तुरंत जरूरी एंटीबायोटिक और आईवी फ्लूड सपोर्ट दिया गया। जिसके बाद धीरे-धीरे उसकी हालत में सुधार होने लगा। धीरे-धीरे वो अपनी मां को पहचानने लगा और फिर उसे वेंटिलेटर से हटाया गया। बच्चे को जनरल वार्ड में शिफ्ट करने से पहले सात दिनों तक आईसीयू में रखा गया। बच्चे के ब्रेन का सीटी स्कैन भी किया गया था। लेकिन उसके ब्रेन में किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा था।