Home छत्तीसगढ़ अक्ति में गुड्डे-गुडिय़ों का ब्याह रचाकर निभाई रस्म

अक्ति में गुड्डे-गुडिय़ों का ब्याह रचाकर निभाई रस्म

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अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम की पूजा घरों में हुई, मंदिरों के कपाट बंद रहे
रायपुर।
वैश्विक महामारी कोरोना के कारण इस बार महा मुहुर्त माना जाने वाले दिन अक्षय तृतीया पर शहर में शादियां नहीं हुई और न ही शहनाई की धुन सुनाई दी बैंड बाजे भी नहीं बजे भले ही विवाह के बंधन में युवक-युवती नहीं जुड़ पाए लेकिन बच्चे अपने मिट्टी के गुडिय़ा-गुड्डा का विवाह घर घर रचाकर अक्ति होने वाली रस्म की अदायगी की। प्रदेश में अक्ती के नाम से मशहूर अक्षय तृतीया पर छोटे-छोटे बच्चे अपने घर में पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाकर खुशियां मनाते देखे गये। बाजार में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी मिट्टी के पुतरा-पुतरी की रौनक वैसी नहीं देखी गई जैसी की हर साल देखी जाती है। प्रतीक के तौर इस बार अक्षय तृतीय का पर्व मनाया गया। कोरोना वायरस के चलते इस बार मंदिर के कपाट थे। जिसके कारण भक्तों ने अपने घरों में पूजा अर्चना कर रस्म का निर्वाह किया।
प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्र्व लाकडाउन होने के कारण पूरे प्र्रदेश में श्रद्धालुओं द्वारा घर घर भगवान परशुराम की पूजा के साथ मनाया जा रहा है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान विष्णु ने आज ही के दिन वीर धनुर्धर योद्धा भगवान परशुराम के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था। परशुराम के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने तेज धार फरसे से सात बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार आज ही के दिन महर्षि भागीरथ द्वारा गंगा को पृथ्वी पर लाया गया था अत: अक्षय तृतीया धरती पर कल कल बहती मां गंगा का अवतरण दिवस भी है। श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण के बाल सखा सुदामा मु_ी भर चावल लेकर अपने मित्र को भेंट देने द्वारिका पहुंचे थे। सुदामा कृष्ण की मुलाकात के बाद अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण ने अपनी मित्रता को अमर बनाते हुए अपने बाल सखा मित्र सुदामा को अक्षय सुखों से संपन्न किया था। अक्षय तृतीया का शास्त्रोंक्त महत्व है। आज के दिन किया गया दान अक्षय सुखों की प्राप्ति दिलाता है। पंडित रमाकांत तिवारी के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भूखे को भोजन, विपन्न को दान, घड़े में पानी दान एवं गौमाता को भोजन एवं जल पिलाने से जातक द्वारा किया गया दान उसे भविष्य में अक्षय सुखों की प्राप्ति के साथ ही उसे धनवान बनाता है।