मुंगेली/ देश-दुनिया में कोरोना वायरस का कहर क्या बरसा, अजीबोगरीब किस्से और घटनाएं आये दिन देखने-सुनने को मिल जाती हैं, कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री द्वारा पूरे देश में आगामी 3 मई तक लॉकडाउन लागू दिया गया हैं, जिसके चलते गरीब, मजदूर वर्ग जो रोज कमाकर अपना जीवन यापन करते थे उनके सामने रोजी-रोटी व जीवन यापन करने की समस्या खड़ी हो गई थी जिसके चलते प्रदेश सरकार के निर्देश व जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा ऐसे जरूरतमंदों को खाद्य एवं जरूरत की सामग्रियां उपलब्ध कराई जा रही थी, इसी बीच कई समाजसेवकों द्वारा निःस्वार्थ सेवा की भावना से जरूरतमंदों को आवश्यक सामग्रियां भी बांटी गई, और अधिकांश समाजसेवकों ने अपना नाम गुप्त भी रखा, तो वही दूसरी ओर मुंगेली क्षेत्र में ऐसे भी लोग हैं जो समाजसेवक का चोला पहन अनैतिक कार्यो में लिप्त हैं, अभी हाल ही में दैनिक भारत-भास्कर टीम को मुंगेली के कुछ लोगों के द्वारा एक शिकायत मिली, जिसमें बताया गया कि मुंगेली के कई सकरी गलियों में, जहां एक समय के बाद आवागमन बहुत कम हो जाता हैं, ऐसे समय में उन गलियों में कुछ समाजसेवकों को इश्क लड़ाते दिख रहे है, उनका चेहरा ढंका हुआ देखा गया, जब भारत-भास्कर की टीम ने यह जानना चाहा कि जब किसी गली में लड़का-लड़की आपस में बातें कर रहे हो तो ये कैसे माना जाए कि वो लड़का या आदमी समाजसेवक हैं अथवा नही ? ऐसे में शिकायत करने वाले ने बताया कि जिस जगह पर ये प्रेमी जोड़े मिल रहे थे वहां पर केवल एक ही वाहन खड़ी थी जिसमें सामग्रियों के वितरण के संबंध में स्टिकर चस्पा हुआ था, और जब गली में अन्य व्यक्तियों का आना हुआ तो उसी वाहन में वह व्यक्ति बैठ कर चला गया,जिससे उन्हें यह आभास हुआ, लोगों ने यह भी कहा कि कई लोग समाजसेवा का ढोंग कर अपने हित के सारे वो निजी काम करने में तल्लीन हैं जो लॉकडाउन के नियमों को पालन करते हुए नही किया जा सकता। इसमें यह बात की भी संभावना बताई जा रही हैं कि कुछ प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए हो सकता हैं समाजसेवक बने हो ? मुंगेली के जिन गलियों की शिकायत लोगों ने की उनमें से मुख्य रूप से गर्ल्स स्कूल के पास और तीन टॉवर वाली गली शामिल हैं। जानकारी देने वालों ने उनका नाम गुप्त रखने की बात कही, नाम सामने आ जाने के भय के कारण उन्होंने पुलिस को यह जानकारी देना उचित नही समझा।
बहरहाल अगर लोगों द्वारा दी गई यह जानकारी सच हैं तो वाकई यह निंदनीय हैं.. पुलिस प्रशासन को चाहिए कि मुख्य सड़कों के साथ-साथ संवेदनशील गलियों में भी गश्त कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराए।