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क्या थायराइड में प्रेग्नेंट होना आसान है?

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थायराइड एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। थायराइड का असर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। थायराइड ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन और थायरोक्सिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है जो कि भ्रूण के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी में थायराइड एक अहम भूमिका निभाता है। थायराइड होने पर गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच करवाना बहुत जरूरी होता है।
थायराइड के प्रकार
थायराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है और इस ग्रंथि से रिलीज होने वाले हार्मोन पूरे शरीर की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। यदि थायराइड ग्रंथि कम एक्टिव हो तो इस स्थिति को हाइपोथायराइड कहते हैं। वहीं थायराइड ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने की स्थिति को हाइपरथायराइड कहते हैं।
प्रेग्नेंसी में थायराइड के जोखिम
यदि महिला को गॉइटर नामक बीमारी हो तो उसमें थायराइड होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। गॉइटर में शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है। इसमें थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है और गले में सूजन आने लगती है।
अगर महिला के परिवार में ऑटोइम्यून थायराइड डिजीज जैसे कि ग्रेव्स डिजीज की हिस्ट्री रही है तो प्रेग्नेंसी के दौरान उसमें इन बीमारियों या थायराइड का खतरा बढ़ जाता है। टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में भी थायराइड का खतरा ज्यादा होता है।
थायराइड में कब कर सकते हैं गर्भधारण?
थायराइड के इलाज के बाद महिला गर्भधारण कर सकती है। अगर थायराइड की बीमारी के बाद कोई महिला गर्भधारण करना चाहती है तो उसे पहले डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए। डॉक्टर आपसे थायराइड को लेकर आपकी फैमिली हिस्ट्री के बारे में पूछेंगें। डॉक्टर सीरम टीएसएच टेस्ट के लिए कह सकते हैं। इससे खून में थायराइड हार्मोन की मात्रा का पता चलता है।
थायराइड में गर्भधारण होने पर क्या करें
थायरइड हार्मोन का कम होने यानी हाइपोथायराइड की स्थिति में डॉक्टर लिवोथायरोक्सिन दे सकते हैं। महिला के गर्भधारण करने के बाद डॉक्टर इस दवा की खुराक में बदलाव कर सकते हैं। गर्भधारण करने के बाद थायराइड से ग्रस्त महिला को तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। वहीं, हाइपरथायराडिज्म की स्थिति में डॉक्टर प्रोपिलिथिओरासिल और मेथिमाजोल जैसी दवाएं दे सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड कैसे कंट्रोल करें
*दवा लेने के अलावा आपको तनाव से भी दूर रहना है। तनाव से कोर्टिसोल नामक हार्मोन बढ़ जाता है जो कि थायराइड ग्रंथि को हार्मोन रिलीज करने से रोकता है।
*वहीं गर्भावस्था में महिलाओं को शारीरिक गतिविधियां करते रहना चाहिए। योग और व्यायाम से थायराइड हार्मोन को संतुलित रखा जा सकता है।
*चीनी, रिफाइंड अनाज और कैफीन आदि का सेवन कम करें। वहीं गॉइटर की बीमारी से बचने के लिए अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त चीजों को शामिल करें।
थायराइड में कर सकते हैं गर्भधारण
थायराइड से ग्रस्त महिलाओं के लिए गर्भधारण करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि थायराइड की वजह से आप गर्भधारण नहीं कर सकती हैं। दवाओं की मदद और डॉक्टर की सलाह से थायराइड के बाद भी गर्भधारण किया जा सकता है।
थायराइड एक ऐसी बीमारी है जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। योग, दवा और स्वस्थ जीवनशैली की मदद से थायराइड को कंट्रोल किया जा सकता है और गर्भधारण भी किया जा सकता है।