ज्योतिष में भद्रा को अशुभ समय के रूप में जाना जाता है. भद्रा होने पर रक्षाबंधन का त्योहार तब तक नहीं मनाते हैं, जब तक कि वह खत्म न हो जाए. भद्रा के दुष्प्रभाव का इतना डर है कि भद्रा में राखी नहीं बांधते हैं और कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं. इस साल भद्रा के कारण ही रक्षाबंधन का त्योहार दो दिन 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा के समय में कोई भी शुभ कार्य सफल नहीं हो सकता है, उसमें जरूर कोई विघ्न-बाधा आती ही है. ऐसा क्यों होता है? यह जानने के लिए पढ़ें कौन हैं भद्रा? क्यों मानी जाती हैं अशुभ?
कौन हैं भद्रा?
कोई भी मांगलिक कार्य करने से पूर्व भद्रा का विचार करना आवश्यक है. भद्रा के पहले या बाद के मुहूर्त में ही शुभ काम करते हैं. भद्रा ग्रहों के राजा सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की संतान हैं. भद्रा शनि देव की बहन हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा स्वभाव से बहुत ही आक्रामक और हर समय उथल-पुथल करने वाली हैं.
कैसा है भद्रा का स्वरूप?
कहते हैं कि असुरों के वध के लिए भद्रा का जन्म हुआ था. उनका व्यक्तित्व दूसरों में भय पैदा करने वाला है. उनके शरीर का रंग काला, बड़े-बड़े दांत और लंबे बाल हैं. वह देखने में डरावनी लगती है. कहा जाता है कि जन्म के बाद से ही वे उपद्रवी स्वभाव की थीं.
बचपन से ही भद्रा मांगलिक कार्यों में पहुंचाने लगीं बाधा
वे हवन, यज्ञ और अन्य मांगलिक कार्यों में बाधा पहुंचाने लगीं. भद्रा का डर लोगों के मन में बैठ गया. लोग उनसे दुखी रहने लगे. भद्रा के कार्यों और स्वभाव के कारण उनके पिता सूर्य देव भी बहुत चिंतित थे. उन्होंने ब्रह्म देव से भद्रा के बारे में बात की.
ब्रह्मा जी ने तय किया भद्रा का समय, उस टाइम पर करती हैं उथल-पुथल
ब्रह्म देव ने भद्रा को समझाया और कहा कि तुम्हारे लिए एक समय तय किया जाता है, उस समय में ही तुम्हारा वास होगा. तुम पाताल, स्वर्ग और पृथ्वी लोक पर वास करोगी. उस समय में जब कोई शुभ कार्य करेगा तो तुम उसमें विघ्न-बाधा डालना. ब्रह्म देव ने भद्रा को बव, बालव आदि करणों के बाद निवास का स्थान दिया.
ऐसे हुई भद्रा की उत्पत्ति
ब्रह्म देव के सुझाव के बाद पंचांग में भद्रा का एक निश्चित समय तय हो गया. पंचांग में जब विष्टि करण होता है तो वह भद्रा काल होता है. इस प्रकार से भद्रा की उत्पत्ति हुई. पृथ्वी लोक की भद्रा हानिकारक मानी जाती है, जबकि स्वर्ग और पाताल की भद्रा का दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाता है.
भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?
भद्रा को अशुभ मुहूर्त मानने के कारण उस समय में राखी नहीं बांधी जाती है. लोक मान्यता है कि रावण की बहन ने उसे भद्रा में राखी बांधी थी तो उसका सब कुछ खत्म हो गया.
रक्षाबंधन 2023 पर भद्रा कब से है?
इस साल 30 अगस्त को रक्षाबंधन है और उस दिन भद्रा सुबह 10:58 ए एम से रात 09:01 पी एम तक है. भद्रा के खत्म होने के बाद रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. भद्राकाल के बाद ही राखी बांधी जाएगी.