बेंगलुरु
कोरोना महामारी (Covid 19 in Karnataka) के दौरान कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी। कर्नाटक में जब कोरोना के केस सबसे ज्यादा एक्टिव थे, तो उस दौरान राज्य के अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड, दवाओं और ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी की खबरें सामने आई थी।हालांकि, राज्य में तत्कालीन भाजपा सरकार ने दावा किया था कि अन्य राज्यों की तुलना में कोरोना के केस को नियंत्रित करने में कर्नाटक सरकार ज्यादा सफल रही।
इस साल कर्नाटक में सरकार बदल गई और अब सिद्धारमैया की सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान दवाओं और ऑक्सीजन आपूर्ति में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने दावा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सा कुप्रबंधन की जांच करेगी।
तीन महीनों में रिपोर्ट सौंप सकती है कमेटी
इस आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करने वाले हैं। शुक्रवार को आदेश जारी करते हुए सरकार ने कहा कि उम्मीद की जा रही है कि न्यायमूर्ति जॉन माइकल डी कुन्हा (Justice John Michael D'Cunha) के नेतृत्व वाला आयोग तीन महीने में रिपोर्ट सौंप देगी।
लोक लेखा समिति ने लगाया आरोप
सरकारी आदेश में कहा गया है कि लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) द्वारा जुलाई-अगस्त महीने में कोरोना महामारी के दौरान राज्य में चिकित्सा कुप्रबंधन का आरोप में लगाया है, जिसकी वजह से की लोगों की मौत हो गई।
आदेश में आगे कहा गया है कि संबंधित विभागों को जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज और कार्यालय संचालित करने के लिए आवश्यक कर्मचारी, स्थान, स्टेशनरी, वाहन और उपकरण सहित सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करनी होंगी।