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एलएचबी रैक के रखरखाव के लिए 750 वोल्ट पर मिलेगी बिजली

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नई दिल्ली
 भारतीय रेलवे
ने एलएचबी कोच वाले रैकों के अनुरक्षण के लिए देश भर में सभी 411 वाशिंग/पिट लाइनों पर 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति प्रदान करने का फैसला किया है जिससे रेलवे को सालाना 500 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रेलवे इसके लिए करीब 210 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार नवंबर 2016 में, रेलवे बोर्ड ने अप्रैल 2018 से अपने पुराने आईसीएफ कोच का उत्पादन 100 फीसदी बंद करने और उ एलएचबी कोचों में बदलने का नीतिगत निर्णय लिया था। इस बीच एक ऊर्जा समीक्षा के दौरान महसूस किया गया कि एलएचबी रेक के परीक्षण और रखरखाव के लिए 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति प्रदान करके वाशिंग/पिट लाइनों पर क्षमता वृद्धि करना बहुत महत्वपूर्ण है।

सूत्रों के अनुसार इस उद्देश्य से, भारतीय रेलवे की 411 वाशिंग/पिट लाइनों के ढांचागत कार्यों के लिए लगभग 210 करोड़ रुपये कुल पूंजीगत व्यय की मंजूरी दी गई थी। यह एक वर्ष से भी कम समय में पूरे रेल नेटवर्क को कवर करते हुए 411 वाशिंग/पिट लाइनों पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के कार्य शुरू कराए गए। जुलाई 2023 के अंत तक 316 वाशिंग/पिट लाइनों पर काम पूरा कर लिया गया। बाकी को 2023 की दूसरी तिमाही में पूरा करने का लक्ष्य है।

सूत्रों के अनुसार वॉशिंग/पिट लाइनों पर बुनियादी क्षमता निर्माण में 210 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश करके तैयार किए गए बुनियादी ढांचे से हर साल 500 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध बचत होगी। रेलवे पर हेड ऑन जेनेरेशन (एचओजी) के हिसाब से सक्षम लोकोमोटिव बेड़े के लक्ष्य के साथ, यह बचत और भी अधिक होगी।

सूत्रों के अनुसार यह लागत कम करके और अनुकूलन के साथ दक्षता में सुधार करके गैर-टैरिफ उपायों के माध्यम से यात्री सेवाओं, विशेष रूप से मेल/एक्सप्रेस खंड की परिचालन व्यवहार्यता में सुधार करने के रेलवे के प्रयासों का एक हिस्सा है। भारतीय रेलवे 2030 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कटौती करने और अर्थव्यवस्था में अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रयासरत है।