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बैंक ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय ग्राहकों को निश्चित दर चुनने का विकल्प दें: RBI

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मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे कर्ज ले रखे ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं।

केंद्रीय बैंक ने जारी अधिसूचना में कहा कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है और ग्राहकों को इसके बारे में सही तरीके से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है।

इस चिंता को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने अपने नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को एक उचित नीतिगत ढांचा बनाने को कहा है।

रिजर्व बैंक ने कहा, ”कर्ज की मंजूरी के समय बैंकों को अपने ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि मानक ब्याज दर में बदलाव की स्थिति में ईएमआई या कर्ज की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। ईएमआई या कर्ज की अवधि बढ़ने की सूचना उचित माध्यम से तत्काल ग्राहक को दी जानी चाहिए।”

केंद्रीय बैंक ने कहा कि ब्याज दरों को नए सिरे से तय करते समय बैंक ग्राहकों को निश्चित ब्याज दर को चुनने का विकल्प दें।

इसके अलावा नीति के तहत ग्राहकों को बताया जाए कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा। साथ ही कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ईएमआई या ऋण की अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं।

अधिसूचना में कहा गया है कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की अनुमति दी जाए। यह सुविधा उन्हें कर्ज के अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने पिछले सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कर्ज लेने वाले लोगों को परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) ब्याज दर से निश्चित ब्याज दर का विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात कही थी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इसके लिए एक नया ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसके तहत बैंकों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ऋण की अवधि तथा मासिक किस्त (ईएमआई) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी।

भारतीय कंपनियों के ‘सौदे’ जुलाई में 58 प्रतिशत बढ़कर 3.1 अरब डॉलर पर : रिपोर्ट

मुंबई,
 भारतीय कंपनियों के सौदे जुलाई में 58 प्रतिशत के उछाल के साथ 3.1 अरब डॉलर पर पहुंच गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, यह उछाल कुल सौदों की संख्या घटने के बावजूद बड़े लेनदेन के कारण आया है।

ग्रांट थॉर्नटन द्वारा जुटाए आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में 3.1 अरब डॉलर के 95 सौदे हुए। संख्या के हिसाब से सौदों में 46 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि मूल्य के हिसाब से इनमें 58 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

सलाहकार कंपनी के भागीदार शांति विजेता ने कहा कि इस साल की शुरुआत से ही धीमी चल रही सौदा गतिविधियों पर वैश्विक मंदी का प्रभाव दिख रहा है।

विजेता ने कहा कि सौदों के मूल्य में वृद्धि को जहां सीमापार लेनदेन ने प्रेरित किया, वहीं निजी इक्विटी क्षेत्र में सतर्कता के कारण कुल मात्रा में कमी आई।

सौदे के मूल्य में यह उछाल दो अरब डॉलर के 29 सौदों की वजह से दर्ज हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), वाहन, खुदरा और विनिर्माण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में ऊंचे मूल्य के छह सौदे हुए।

सौदों के मूल्य में प्रमुख योगदान प्रॉक्सिमस ओपल द्वारा रूट मोबाइल में नियंत्रक यानी 58 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण का रहा है। इस सौदे का मूल्य 72.1 करोड़ डॉलर रहा।