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शिव महादेव का अद्भुत श्रृंगार, फल-फूल नहीं केकड़ों से होता है

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जब भी हम भगवान के दर्शन करने मंदिर जाते हैं तो कुछ न कुछ चढ़ाते हैं। कोई फल-फूल चढ़ाता है तो कोई तरह-तरह की मिठाइयां। लेकिन क्या आप भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं जहां ये सब चीजें नहीं बल्कि जिंदा केकड़ा चढ़ाया जाता है। सुनने में ये भले ही ये अजीब लगे लेकिन ये सच है। ये मंदिर गुजरात के सूरत में स्थित है। इस मंदिर के देवता हैं देवों के देव महादेव। यहां भक्तों द्वारा भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले केकड़ों को पूजा के बाद तापी नदी में छोड़ दिया जाता है। जानिए भगवान शिव के इस मंदिर में क्यों चढ़ाया जाता है जिंदा केकड़ा?

इसलिए चढ़ाई जाता है केकड़ा

हर मंदिर की अपनी-अपनी परंपरा और मान्यता होती है। सूरत के उमरा में स्थित इस मंदिर की भी अलग परंपरा और मान्यता है। यहां आए दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर में कई सालों से केकड़े चढ़ाने की परंपरा रही है। यहा आने वाला भक्त अक्सर केकड़ चढ़ाता है। आने वाले भक्तों का कहना है कि केकड़े चढ़ाने से उनका स्वास्थ्य सही-सलामत रहेगा और इससे कान संबंधित बीमारियां भी ठीक होती हैं और तो और मकर संक्रांति के मौके पर जिंदा केकड़े भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं। मंदिर के पुजारी का इस विषय में कहना है कि इस परंपरा का उल्लेख हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामायण में मिलता है। उनका मानना है कि ऐसा करने से सब के मन्नते पूरी हो जाती है।

ये है पौराणिक कथा

केकड़े समर्पित करने की ये प्रथा दशकों पुरानी है। इस मामले पर मंदिर के पुजारी का कहना है कि समुद्र की लहर में बह आए एक केकड़े ने भगवान राम को प्रसन्न कर दिया था। जिसके बाद उसे पूजा का एक अभिन्न अंग बने रहने का आशीर्वाद मिला था। इसी वजह से लोग मंदिर में अपनी बीमारी को लेकर आते हैं और उसे चढ़ाते हैं। यहां पर भगवान शिव को केकड़ा चढ़ाया जाता है। पूरा मंदिर परिसर ही ङ्क्षजंदा या मृत केकड़ों से लैस होता है जिसका नजारा बहुत ही अद्भूत होता है। यहां मंदिर के बाहर ही केकड़ों का स्टॉल लगा रहता है जहां से श्रद्धालु के केकड़े खरीदकर ले जाते है और भगवान शिव को चढ़ाते हैं।

 

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