नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) लाने का प्रस्ताव संसद में पेश कर दिया है। इसके लिए एक मसौदा तैयार हो गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इस मसौदे को पेश करते हुए कहा कि मोदी सरकार गुलामी की निशानियों को हटाने की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रही है। इसी दिशा में बढ़ा एक बड़ा कदम है अंग्रेजों के बनाए कानूनों की जगह अपना और अपनों के लिहाज से कानून बनाना। उन्होंने कहा कि आईपीसी का मकसद भारतीयों को काबू में रखना था, उन्हें दंडित करना था जबकि भारतीय न्याय संहिता का मकसद किसी को दंडित करना नहीं, सबको न्याय दिलाना होगा।
उन्होंने बताया कि किस तरह ब्रिटेन की संसद से पास कानून में प्राथमिकता राजद्रोह पर रोक जैसे प्रावधानों को दिया गया था। शाह ने कहा कि 1860 में बना कानून आजाद भारत में भी 75 वर्षों तक लागू रहा, लेकिन अब यह नहीं चलेगा। उन्होंने बताया कि कई आईपीसी के कई प्रावधानों को खत्म कर दिया गया है जबकि कुछ नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इस फेरबदल से कई धाराएं बदल जाएंगी।