Home व्यापार आज से महंगे टमाटर से मिलेगी आजादी, 50 रुपये किलो के हिसाब...

आज से महंगे टमाटर से मिलेगी आजादी, 50 रुपये किलो के हिसाब से बेचेगी सरकार

25
0

 नई दिल्ली

 थोक बाज़ार में कीमतों में गिरावट के मद्देनजर केंद्र ने सोमवार को सहकारी समितियों-एनसीसीएफ और नैफेड को मंगलवार से 50 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर टमाटर की बिक्री करने का निर्देश दिया है। जुलाई के महीने से एनसीसीएफ और नैफेड दोनों टमाटर की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमत में आई तेजी को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से रियायती दर पर टमाटर बेच रही हैं। शुरुआत में मंत्रालय ने दोनों सहकारी समितियों को 90 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर टमाटर बेचने के लिए कहा था और बाद में इसकी कीमत घटाकर 80 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी थी। बाद में इसे और घटाकर 70 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया।
 

मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘ताजा कटौती के बाद अब उपभोक्ताओं को 50 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर टमाटर मिलेगा।” अबतक दोनों सहकारी समितियों द्वारा कुल 15 लाख किलोग्राम टमाटर की खरीद की जा चुकी है, जिसे देश के प्रमुख उपभोग केंद्रों में खुदरा उपभोक्ताओं को बेचा जा रहा है। इन स्थानों में दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान (जयपुर, कोटा), उत्तर प्रदेश (लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज) और बिहार (पटना, मुजफ्फरपुर, आरा, बक्सर) शामिल हैं।

पिछले कुछ दिनों में, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) ने पूरी दिल्ली में 70 स्थानों और नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 15 स्थानों पर अपनी मोबाइल वैन तैनात करके खुदरा उपभोक्ताओं को टमाटर की आपूर्ति में काफी वृद्धि की है। इसके अलावा एनसीसीएफ ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) मंच के माध्यम से टमाटर की खुदरा बिक्री कर रहा है।
 

एनसीसीएफ और भारतीय कृषि सहकारिता विपणन महासंघ लिमिटेड (नैफेड) आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से टमाटर खरीद रहे हैं। यह टमाटर उन क्षेत्रों में भेजा जा रहा है जहां पिछले एक महीने में कीमतों में अधिकतम वृद्धि हुई है। मंत्रालय द्वारा रखे गए आंकड़ों के अनुसार, टमाटर की अखिल भारतीय औसत कीमत 14 जुलाई को 9,671 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर सोमवार में 9,195 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है। प्रमुख उत्पादक केंद्रों में भारी बारिश के कारण टमाटर की कीमतें दबाव में आ गई हैं, जिसके चलते आपूर्ति संबंधी समस्याएं पैदा हो गई हैं।