श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या के मामले में लोगों से मदद मांगी है। उनकी 33 साल पहले श्रीनगर के एक बाजार में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।
एसआईए की एक अपील में कहा गया है, “तीन दशक पहले सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश, नीलकंठ गंजू की हत्या के पीछे की साजिश का पता लगाने के लिए, राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) हत्या मामले के तथ्यों या परिस्थितियों से परिचित सभी व्यक्तियों से अपील करती है कि वे आगे आएं और घटना का विवरण साझा करें।”
एसआईए की अपील में कहा गया है कि ऐसे सभी व्यक्तियों की पहचान गुप्तय रखी जाएगी और उन्हेंस पुरस्कृत किया जाएगा। इस हत्याकांड से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए जनता से 8899004976 या ईमेल एसएसपीएसआईए-केएमआर एटदरेट जेकपुलिस.जीओवी.इन पर संपर्क करने कहा गया है।
सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश गंजू की 4 नवंबर, 1989 को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के तीन आतंकवादियों ने दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। वह दूसरे प्रमुख कश्मीरी पंडित थे, जिन्हें 14 सितंबर 1989 को भाजपा उपाध्यक्ष जम्मू-कश्मीर टीका लाल टपलू की हत्या के बाद आतंकवादियों ने मार डाला था।
उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन न्यायाधीश नीलकंठ गंजू श्रीनगर के हरि सिंह हाई स्ट्रीट के एक बाजार में थे। सीआईडी अधिकारी अमरचंद हत्याकांड में शामिल होने के कारण जज की बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिनकी एनएलएफ उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी।
एक सत्र न्यायाधीश के रूप में, नीलकंठ गंजू ने अगस्त 1968 में जेकेएलएफ आतंकी, मकबूल भट को मौत की सजा सुनाई थी। आतंकवादियों ने उन्हें करीब से कई गोलियां मारीं और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। उनकी हत्या से घाटी में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं में भय का माहौल पैदा हो गया।